दिल्ली की रहने वाली 20 वर्षीया उजमा घूमने के लिए मलेशिया गई थी. वहीं पर उस की मुलाकात ताहिर से हुई. ताहिर मूलरूप से पाकिस्तान का रहने वाला था और वह भी टूरिस्ट वीजा पर वहां घूमने गया था. दोनों एक ही मजहब के थे. साथसाथ घूमने से दोनों के बीच दोस्ती हो गई. इसी दौरान दोनों ने एकदूसरे को जाना, समझा. बाद में दोनों अपनेअपने वतन लौट गए. उजमा और ताहिर अपनेअपने घर लौट जरूर गए थे लेकिन उन के दिल एकदूसरे के लिए धड़कने लगे थे. लिहाजा दोनों फोन पर एकदूसरे से अपने दिल की बातें करने लगे.

शारीरिक रूप से दोनों भले ही दूरदूर रह रहे थे, लेकिन उन के बीच होने वाली बातें उन्हें मानसिक रूप से नजदीक ला रही थीं. उन के बीच का आकर्षण उन्हें साथसाथ रहने के लिए उकसा रहा था. उन का मन चाहता था कि वे सरहद को लांघ कर जिस्मानी रूप से भी नजदीक पहुंच जाएं. दोनों जवां दिलों के अंदर आत्मीयता के बीज से जो पौधा उपजा, वह प्यार के रूप में सामने आया.

उजमा और ताहिर के प्यार का पौधा दिनोंदिन बढ़ कर और मजबूत हो रहा था. दूरी नाकाबिलेबरदाश्त लगने लगी थी. फलस्वरूप दोनों ने निकाह करने का फैसला ले लिया. ताहिर ने उजमा को भरोसा दिया कि वह हिंदुस्तान से किसी बहाने पाकिस्तान आ जाए तो वह उस से निकाह कर लेगा और हमेशा अपने साथ रखेगा. उजमा हर हालत में ताहिर के नजदीक पहुंचना चाहती थी, इसलिए वह उस की बात पर राजी हो गई.

इस के बाद उजमा पाकिस्तान जाने की योजना बनाने लगी. चूंकि उसे वहां जाने के लिए वीजा की जरूरत थी, इसलिए उस ने पाकिस्तान में रह रहे अपने रिश्तेदारों से मिलने की बात कह कर वीजा ले लिया. जब वह वाघा बौर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंची तो ताहिर उसे लेने पहुंच गया. ताहिर ने उस का बड़ी ही गर्मजोशी से स्वागत किया. कुछ देर के लिए दोनों इस तरह से गले मिल कर चिपके रहे जैसे बरसों से बिछुड़े हुए हों. मिल कर दोनों के दिलों को बड़ी तसल्ली मिली. इस के बाद 3 मई को उन्होंने निकाह कर लिया.

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