24 अगस्त, 2017 को पुलिस की गिरफ्त में आए नीले रंग का लिबास पहने और सिर पर गोल टोपी लगाए उस शख्स की बातें वरदी वालों को हैरान कर रही थीं. उस का गुनाह इतना था कि वह सजायाफ्ता मुजरिम था और कई सालों से फरार था. उस ने न सिर्फ जादूटोना, तावीजगंडों के नाम पर अपने अंधविश्वासी मुरीदों को लूटा था, बल्कि वह औरतों की आबरू से भी खेलता था और इस काम के पैसे लेता था.

धर्म की आड़ में खुद को वह हलाला ऐक्सपर्ट मौलवी बताता था. अपने पाखंड के जाल व हलाला को उस ने मौजमस्ती व रोजीरोटी का जरीया बना लिया था.

हलाला को बनाया धंधा

दरअसल, पकड़ा गया मौलाना करीम खुद को धर्म का बहुत बड़ा जानकार और तंत्रमंत्र का माहिर बताता था. लोगों को भूतप्रेत व निजी परेशानियों को दूर करने के नाम पर वह तावीजगंडे बांटता था. उस के अंधभक्तों की खासी तादाद थी.

मौलाना करीम मुंबई, सूरत, अजमेर शरीफ, फर्रुखाबाद वगैरह जगहों पर जा कर रुकता था. चेलेचपाटे ही उस का प्रचारप्रसार किया करते थे. बदले में वह उन्हें छल से कमाई दौलत का कुछ हिस्सा देता था.

मौलाना करीम ने 20 साल से ले कर 50 साल तक की औरतों के हलाला किए. हलाला का काम वह कभी लोगों के घर जा कर, तो कभी होटलों में कर दिया करता था. जिस औरत पर उस का ज्यादा दिल आ जाता, उसे वह कई दिनों तक अपने पास रखता था और मन भर जाने पर उसे उस के परिवार वालों के हवाले कर देता था.

इतना ही नहीं, करीम खुद को धर्मगुरु बताता था. हलाला करने के पहले वह सामने वाले की माली हालत के हिसाब से पैसे लिया करता था. उस ने एकदो नहीं, बल्कि 38 से ज्यादा औरतों का हलाला किया था. चेले खुश रहें, इसलिए वह उन्हें भी औरतों से मजे कराता था.

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