देश की राजधानी में खतरनाक स्तर के प्रदूषण के चलते उच्च स्तर के प्रोफेशनल्स राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में जौब करने से कतरा रहे हैं. विदेश से लौटने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स भी दिल्ली में काम नहीं करना चाहते.

दक्षिण भारत के शहर बेंगलुरु की एक टेक्नोलौजी कम्पनी में काम करने वाले एनालिटिक्स हेड ने दिल्ली में 40 फीसदी ज्यादा सैलरी वाली नौकरी करने से मना कर दिया. यह इस तरह का एकलौता मामला नहीं है, कई लोग ऐसा पहले कर चुके हैं. उच्च स्तर की नौकरी में प्रदूषण बड़ा मुद्दा बन गया है.

सर्च कंपनियों के मुताबिक़, दिल्ली-एनसीआर में नौकरी ठुकराने वाले ऐसे उच्च प्रोफेशंल्स मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई जैसी साफ़ आबोहवा वाले शहरों में मौके तलाश रहे हैं. कोर्न फेरी, ईएमए पार्टनर्स,  हंट पार्टनर्स, ट्रांसर्च और ग्लोबल हंट जैसी एग्जीक्यूटिव सर्च कंपनियों ने बताया है कि सीईओ-सीएफओ-सीओओ स्तर के जौब औफर के लिए उन से संपर्क करने वाला हर तीसरा शख्स दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण से चिंतित है.

एग्जीक्यूटिव सर्च कंपनियों ने जानकारी दी है कि कुछ हफ़्तों में दिल्ली-एनसीआर में जिन उच्च अधिकारियों ने नौकरी ठुकराई है, उन में कंज्यूमर मार्केट्स सेगमेंट में मुंबई की एक कंपनी के ग्रुप फाइनेंस हेड, उत्तर प्रदेश की एक दवा कंपनी के एचआर हेड, चेन्नई की एक कंपनी के ओपरेशंस हेड और बेंगलुरु की एक ऑटो कंपनी के क्वालिटी हेड शामिल हैं.

जागरूकता का आलम यह है कि कंपनियों के उच्च अधिकारियों से ज्यादा उन के परिवार वाले दिल्ली-एनसीआर में नहीं आना चाहते.  सर्च कंपनियों का यह भी कहना है कि आने वाले वर्षों में यह समस्या और भी बढ़ सकती है क्योंकि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का कोई हल नहीं दिख रहा है.  यह बहुत गंभीर मसला  बन गया है. ना सिर्फ भारतीय दिल्ली-एनसीआर के जौब औफर ठुकरा रहे हैं बल्कि विदेश से लौटने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स और भारत में काम करने आए विदेशी लोग भी यहाँ नहीं आना चाहते.

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