तीन तलाक नाम की कुप्रथा को खत्म करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वह वाहवाही और बधाई मिली जिसके कि वे वाकई हकदार थे, लेकिन उम्मीद से कम वक्त में उन्होंने यह ऐलान कर अपने ही किए पर पानी फेर लिया है कि 45 की उम्र पार कर चुकी मुस्लिम महिलाएं अब बगैर महरम के हज पर जा सकती हैं. मन की बात के साल 2017 के आखिरी एपिसोड में की गई यह घोषणा कैसे एक कुरीति को बढ़ावा देती हुई है, उससे पहले यह समझ लेना जरूरी है कि यह महरम आखिर है क्या और क्यों नरेंद्र मोदी के मन में इस तरह खटका कि वे इसे खत्म करने पर उतारू हो आए.

इस्लाम में निर्देश हैं कि महिलाएं बिना किसी पुरुष अभिभावक या संरक्षक के हज यात्रा नहीं कर सकतीं, यानि हज करने के लिए महरम जरूरी है, इस्लाम के ही मुताबिक महरम वह पुरुष होता है जिससे मुस्लिम महिला शादी नहीं कर सकती मसलन पिता, बेटा, सगा भाई और नाति यानि नवासा. अभी तक मुस्लिम महिलाएं इनमें से किसी एक के साथ होने पर ही हज यात्रा कर सकतीं थीं, अब बक़ौल नरेंद्र मोदी यह ज्यादती खत्म की जा रही है और 45 पार कर चुकीं 4 या उससे ज्यादा मुस्लिम महिलाएं इकट्ठी होकर हज पर जा सकती हैं. इस बाबत मोदी की पहल पर इन महिलाओं को लाटरी सिस्टम से मुक्त रखा जाएगा.

मोदी जी यह जानकर हैरान थे कि अगर कोई मुस्लिम महिला हज करना चाहे तो वह बिना महरम के नहीं जा सकती थी और यह भेदभाव आजादी के 70 साल बाद भी कायम है, लिहाजा उन्होंने इस रिवाज को ही हटा दिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...