बस में सफर के दौरान घटी एक घटना हमें इस बात का एहसास कराती है कि हर वह इनसान जिनका मी टू जैसी घटनाओं से कोई लेनादेना नहीं है वह भी कितना डरा हुआ है, हुआ ऐसा कि बस में सीट खराब होने की वजह से किसी बुजुर्ग व्यक्ति का पैर साथ बैठी युवती से बारबार टच हो जाता था, युवती हर थोड़ी देर बाद उन का पैर ठीक कर देती थी. 2-3 बार ऐसा होता रहा तो उस व्यक्ति को लगा कि युवती समझ रही है कि वह जानबूझ कर ये हरकत कर रहा है, जिस से कि युवती परेशान है परन्तु वह जानबूझ कर ऐसा कुछ नहीं कर रहे थे, और न ही उस युवती का ये मतलब था. वह उन का पैर बारबार ठीक कर तो रही थी, असल में जहां उस व्यक्ति का पैर खुलता था तो युवती को थोड़ा धक्का लगता और उस के पैर सीट से बाहर निकल जाते, जिस से होता ये था कि बस में आनेजाने वाले लोगों से युवती का पैर दब जाता था. इस पर उस व्यक्ति ने कहा मैडम मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं. मैं तो मी टू से पहले ही डरा हुआ हूं.

आजकल बस, मेट्रो से ले कर ट्रेन व हवाई जहाज में भी महिला सहयात्री के साथ सीट शेयर करते समय पुरुष घबराते हैं. उन्हें लगता है कि कहीं गलती से हुआ अनचाहा स्पर्श उन्हें मुसीबत में न डाल दे. छेड़छाड़ व अनचाहे स्पर्श में महीन सा फर्क होता है. यह फर्क होता है इंटेशन यानी नीयत का. महिलाओं को किसी भी स्पर्श के पीछे छिपी मंशा का अंदाज आसानी से हो जाता है. इसलिए कई बार जब भीड़भाड़ में ऐसा होता है तो महिलाएं एडजस्ट कर लेती हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...