देश में भ्रष्टाचार खत्म करने का जितना शोर किया जा रहा है वह उतना ही तेजी से बढ रहा है. सरकारी विभाग, संस्थाएं भ्रष्टाचार के संगठित अड्डे बन गए हैं. खुद प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन सीबीआई के शीर्ष अधिकारी जांच के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं और करोड़ों के लेनदेन के खुलासे हो रहे हैं.

भ्रष्टाचार पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ गया है. इस बात का गैर सरकारी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में दावा किया है.

संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के सर्वे में 45 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि देश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. इस बार पिछली बार से 11 प्रतिशत अधिक 56 प्रतिशत लोगों ने यह बात कही है.

56 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने रोजमर्रा के कामों के लिए रिश्वत देनी पड़ी है. पिछली बार ऐसा कहने वाले 45 प्रतिशत लोग थे. 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि घूस का लेनदेन नकद में किया गया. शेष ने गिफ्ट के रूप में घूस दी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में 68 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि उन के राज्यों में भ्रष्टाचार निरोधक हेल्पलाइन नहीं है. 33 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें उन के राज्य में ऐसी किसी हेल्पलाइन के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार सर्वे में शामिल 34 प्रतिशत लोगों ने कहा कि राज्य ने भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं पर यह कदम असरदार नहीं हैं.

सर्वे में राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल को शामिल किया गया था. इन राज्यों के 215 शहरों में सर्वे किया गया जिसमें 50 हजार लोग शामिल हुए. इन में 67 प्रतिशत पुरुष और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं.

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