बड़े अफसोस की बात है कि हम आजादी की 70वीं सालगिरह मना रहे हैं पर अभी भी अफवाह पर विश्वास और अंधविश्वासों से मुक्त नहीं हो पाए हैं. हमारा एक पैर चांद पर है तो दूसरा दकियानूसी सोच के दलदल में धंसा हुआ है.

जून माह में पश्चिम राजस्थान के गांवों से महिलाओं के बाल काटने की एक दो घटनाओं से शुरू हुआ अफवाहों का जिन्न मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और देश की राजधानी दिल्ली तक जा पहुंचा. आए दिन 2-3 अविश्वसनीय अफवाहें मीडिया खासतौर से इलेक्ट्रोनिक चैनलों की सुर्खियों में छाई रही हैं.

घटना की शुरुआत में सामने आया कि लगभग 50 महिलाओं का एक ग्रुप है जिन्हें 1008 महिलाओं की चोटी काटनी है. यह काम पूरा होने के बाद इन महिलाओं को अदृश्य होने की शक्ति प्राप्त हो जाएगी. चोटी कटने की अफवाहों में यह भी सामने आया कि जिस महिला की चोटी कटनी होती है उसे पहले सिर में दर्द होता है. सफेद कपड़े पहने उसे कोई साया दिखता है. उस के बाद वह बेहोश हो जाती है और फिर चोटी कट जाती है. कहींकहीं यह अफवाह भी थी कि बाल कटने के 3 दिन बाद महिला की मौत हो जाती है.

इस तरह की अफवाहें व्यापक स्तर पर फैल रही है. पुलिस में  सूचना दी जा रही है पर असलियत कुछ निकल कर नहीं आ रही है. 2-4 घटनाओं के अलावा अफवाहें ज्यादा परोसी जा रही हैं. घटनाओं में घर के किसी सदस्य का शामिल होना पाया गया है. खास बात यह है कि बाल काटने की घटनाएं और अफवाहें अधिकतर कम पढेलिखे, गरीब लोगों से जुड़ी हुई सामने आ रही हैं.

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