प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने जो महत्त्वपूर्ण बातें कहीं उन में से एक यह बात भी थी कि नौकरशाह अपनी संपत्ति का ब्योरा दें. बात नई नहीं है, पिछली यूपीए सरकार भी अपने कार्यकाल में आईएएस अधिकारियों को इसी तरह हड़काती रहती थी लेकिन इस का कोई खास असर उन पर नहीं होता था. मौजूदा एनडीए सरकार उन्हें संपत्ति के ब्योरे की बाबत बाध्य कर पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा. सरकार के पास अपनी संपत्ति का विवरण हर साल जमा करना अब हर कर्मचारी व अधिकारी की कानूनी जिम्मेदारी बना दी गई है. ऐसा न करने पर सरकार उन के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है. इस कानून का सीधा संबंध देश में पनप रहे भ्रष्टाचार और घूसखोरी से है. मिलने वाले वेतन से कर्मचारीअधिकारी कितनी जायदाद बना सकते हैं, यह भले ही सरकार तय न कर पाए लेकिन यह तो तय कर ही सकती है कि कितनी जायदाद आमदनी से ज्यादा थी.

सभी राज्यों में यह कानून लागू है. दिलचस्प बात तो यह है कि छोटे कर्मचारी समय पर अपनी संपत्ति का विवरण देते हैं पर आला अफसर, खासतौर से आईएएस अधिकारी नहीं देते. सरकार इन का कुछ नहीं बिगाड़ पाती, सिवा एक ही बात बारबार कहने के कि संपत्ति विवरण जमा करें. आज तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया  जिस में सरकार ने संपत्ति ब्योरा न देने वाले किसी आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की हो. 20 जुलाई, 2014 तक 208 आईएएस अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया था. साल 2013 की तो छोड़ें, बीते सालों में भी अधिकारियों ने सरकार के आदेश की खुली अवहेलना की और रुतबे से नौकरी कर रहे हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...