भारत में बच्चों की जनसंख्या विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा सब से अधिक है. बचपन में शादी, किशोरावस्था में गर्भ, यौनशोषण, यौनसंक्रमण इत्यादि के चलते देश के स्कूलों में विद्यार्थियों को यौनशिक्षा भी दिए जाने की मांग गाहेबगाहे उठती रहती है. पेशे से वकील, गौतम रंगनाथन इन्हीं विषयों पर कार्य करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘स्कूलों में व्यापक व विस्तारपूर्ण यौनशिक्षा होनी चाहिए जो बच्चों को सही जानकारी उपलब्ध कराए.’’

क्रिस्प नामक गैरसरकारी संस्था के संस्थापक, कुमार वी जागीरदार बताते हैं, ‘‘बच्चों का शोषण अकसर वही लोग करते हैं जो उन के करीब होते हैं. लड़कियों के साथसाथ लड़कों का भी शोषण होता है. इसलिए दोनों को ही सजग और जागरूक करने की आवश्यकता है. दोनों को सही स्पर्श और गलत स्पर्श के बारे में सचेत करना चाहिए.’’

विशेषज्ञों की राय है कि इंटरनैट में सही फिल्टर न होने के चलते बच्चों तक सही यौन संबंधी जानकारी पहुंच नहीं पाती है, इसलिए उन्हें यौनशिक्षा दी जानी बेहद जरूरी है.

बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही मनोरंजनी गिरीश कहती हैं, ‘‘बच्चे आसानी से मीडिया में प्रचलित खबरों से प्रभावित हो जाते हैं, फिर चाहे वे खबरें असली हों या भ्रामक. इसीलिए औपचारिक यौनशिक्षा द्वारा सही और पूरी जानकारी बच्चों तक पहुंचानी चाहिए.’’

खतरे में बच्चों की यौन सुरक्षा

11 शहरों में किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल सभी युवाओं में से आधे लोगों को एड्स या एचआईवी से स्वयं को बचाने के उपायों के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं थी.

-       अखिल भारतीय शिक्षा व व्यावसायिक मार्गदर्शन संस्थान की जांच से पता चला कि 42 से 52 प्रतिशत विद्यार्थियों को सैक्स के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है.

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