‘रखैल, जिसे अंगरेजी भाषा में ‘कैप्ट’ कहा जाता है, शब्द सुनते ही किसी भी पत्नी के तेवर टेढ़े हो जाने स्वाभाविक हैं क्योंकि कोई भी औरत किसी पुरुष की पत्नी का दरजा हासिल करने में गरिमामय रहती है और रखैल बनते ही शर्मिंदगी का दूसरा नाम बन जाती है. फिर, आखिर क्या हो जाता है कि एक पति, पत्नी के स्थान पर एक अन्य महिला को दिल दे बैठता है या उस का दिल खुदबखुद उस ओर खिंच जाता है?

रखैल यानी वह औरत जिसे किसी भी पति ने अपनी पत्नी के अलावा अपने लिए रखा है. उस पुरुष के भावनात्मक व शारीरिक सभी अधिकार उस की रखैल को स्वत: मिल जाते हैं. वह उस के पास जाता है और शायद वहां जा कर उसे वह सुकून मिलता है जिस की उसे तलाश रहती है.

आमतौर पर भारतीय समाज में स्त्रियां शांत मानी जाती हैं और पुरुष को चंचल प्रवृत्ति का माना जाता है. यह बात भी विचारणीय है कि दिल कब किसी की ओर झुक जाता है, यह पता ही नहीं चलता और कब एक पुरुष की जिंदगी में पत्नी के स्थान पर उस की प्रेमिका या रखैल अपनी जगह बना लेती है, इस से पुरुष स्वयं अनजान रहता है.

प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्यों एक पुरुष का झुकाव परस्त्री की ओर हो जाता है? क्यों वह अपनी पत्नी से अधिक सुकून रखैल के पास जा कर महसूस करता है? क्या इस के लिए पत्नी ही पूरी तरह से उत्तरदायी है? इस बाबत हर उम्र की शिक्षित व अल्पशिक्षित कुछ महिलाओं से बात की गई.

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