धमकियां कितनी वास्तविक और कितनी दिखावटी हो सकती हैं, यह अंदाज लगाना मुश्किल है. पुरानी कहावत है कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं. लेकिन सदा ऐसा नहीं होता. कई बार ये गरजने वाले बादल औरों को भयंकर बारिश आने का संकेत दे कर भयभीत कर देते हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जो इस कहावत को झूठा सिद्ध करते हैं.

तरहतरह की धमकियां

संध्या ने कभी सोचा भी न था कि उन की फूल सी खूबसूरत बेटी का यह हश्र होगा. उन की आंखों के सामने उस घटना की याद बारबार ताजा हो जाती है जब उन के ही ?सब से विश्वासपात्र घरेलू नौकर ने उन से उन की बेटी का हाथ मांगा था जिसे सुन कर वे आगबबूला हो उठी थीं और फिर एक दिन सुबहसुबह संध्या ने अपनी बेटी की दिल दहलाने वाली चीखें सुनीं. जब वे दौड़ कर अपनी बेटी के पास पहुंचीं तो उन की फूल सी बेटी तेजाब से जले चेहरे को लिए पीड़ा से चीख रही थी.

संध्या ने नौकर की धमकी को गीदड़भभकी समझा था. यदि वे उसे थोड़ी गंभीरता से लेतीं तो शायद यह दुर्घटना न होती.

विद्या की 3 लड़कियां ही थीं. उन्हें 1 पुत्र की चाह थी. सारे उपचार करने के बाद भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी. एक बार उन की एक परिचिता ने उन्हें एक साधु की महिमा से अवगत कराया तो वे उस साधु के पास जाने के लिए तुरंत तैयार हो गईं. साधु से मिल कर वे बहुत प्रभावित हुईं. विद्या का विश्वास उस साधु के प्रति तब ज्यादा अटल हो गया जब उन्हें 1 पुत्र की प्राप्ति हो गई. अब तो वे अपना सारा समय साधु की सेवा में ही बिताने लगीं और बच्चों व पति की उपेक्षा करने लगीं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...