29 दिसंबर, 2016 की रात उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना निगोहां के गांव मदाखेड़ा के देशी शराब के ठेके पर कुछ लोग बैठे शराब पी रहे थे. रात गहराई तो शराब पीने वाले वे लोग ठेके से थोड़ी दूरी पर जा कर खड़े हो गए. इस की वजह यह थी कि वे शराब के ठेके के पास चलने वाली कैंटीन में चोरी करना चाहते थे. वे अकसर यहां शराब पीने आते थे. इस से उन्हें पता था कि कैंटीन में पैसा रखा रहता है. दरअसल, नया साल आने वाला था, इसलिए उन लोगों को मौजमस्ती और शाहखर्ची के लिए पैसों की जरूरत थी. इस के लिए उन्हें कैंटीन में चोरी करने से बेहतर कोई दूसरा उपाय नजर नहीं आ रहा था. शराब का यह ठेका सिसेंडी निवासी राजेश कुमार जायसवाल की पत्नी सरिता जायसवाल के नाम था.

28 साल का मनीष कुमार अपने परिवार के गुजरबसर के लिए ठेके के पास कैंटीन चलाता था. उस की कैंटीन में शराब के साथ पीने के लिए पानी, कोल्डड्रिंक और नमकीन बिस्कुट वगैरह मिलता था. दिन भर जो बिक्री होती थी, वह मनीष के पास कैंटीन में ही रखी रहती थी. रायबरेली जिले के रहने वाले राजनारायण, कल्लू, चुन्नीलाल और चंदन अकसर यहां आ कर शराब पीते थे. पैसों के लिए ये इलाके में चोरी और लूटपाट करते थे. इन सभी को शान से रहने की आदत थी. इन्हें महंगी गाडि़यों में घूमने और ब्रांडेड कपड़े पहनने का शौक था.

रायबरेली जिले के थाना बछरावां के रहने वाले राजनारायण और चंदन बापबेटे थे. बेरोजगारी और महंगे शौक ने दोनों को एक साथ अपराध करने के लिए विवश कर दिया था. गिरोह बना कर ये इलाके में पत्तल और दोने बेचते थे.

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