बिहार के सिवान जिले में 13 मई को  पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मार कर हत्या कर दी गई. फरवरी माह में दिल्ली के वसंतकुंज में रहने वाले, पेशे से टीवी पत्रकार, 30 साल के हरदीप की गोली मार कर हत्या कर दी गई. हत्या की वजह इतनी थी कि उस ने तेज आवाज में बज रहे म्यूजिक का विरोध किया. बंगलादेश में पिछले कुछ सालों में धर्मनिरपेक्ष बातें करने वाले कई पत्रकारों व बुद्धिजीवियों की बर्बर तरीके से हत्याएं की गईं जिन में स्वतंत्र लेखक, प्रोफैसर और पत्रकार शामिल हैं. बंगलादेश में ही नहीं, उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार हों या सीरिया और सोमालिया में अपनी जान को जोखिम में डाल कर अपनी जिम्मेदारी निभाने वाले पत्रकार हों, जानलेवा हमलों के शिकार हो रहे हैं.

ऐसे हालात पर अमेरिका में कैरियरकास्ट एजेंसी की एक शोध की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पत्रकारिता का जौब दुनिया का सब से खराब जौब है. कैरियरकास्ट हर साल दुनियाभर की नौकरियों को ले कर सर्वे करती है और काम का दबाव, माहौल, सैलरी, फ्यूचर, आउटलुक के हिसाब से पता करती है कि कौनकौन से जौब्स बदतर हैं और कौनकौन से बेहतर. सर्वे के मुताबिक, वैज्ञानिक की नौकरी सब से अच्छी और रिपोर्टर की सब से खराब है. इस क्रम में मजदूर, वैल्डर, कचरा कलैक्टर, टैक्सी ड्राइवर, डेयरी किसान और लकड़हारे जैसे पेशे भी शुमार किए गए हैं. अमेरिकी सर्वे की तर्ज पर भारत में नौकरी हब डौट कौम के सर्वे के अनुसार, जो जौब्स सब से खराब माने गए हैं उन में सीवर सफाई कर्मचारी, मौर्चरी में काम करने वाले, फायरब्रिगेडकर्मी, रिपोर्टर, सेनाकर्मी, नौकरानी, कामवाली, धोबी व इस्त्रीवाला, हौस्पिटल अटैंडैंट, सिक्योरिटीमैन, वेटर, ऐंबुलैंस ड्राइवर, टैलीमार्केटर, टीचर, बसट्रक ड्राइवर, होटल में बरतन धोने वाले, कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव और लैब असिस्टैंट आदि शामिल हैं. हम अकसर ऐसी खबरों को चटखारे ले कर पढ़ते हैं और अगर हमारे परिचित उपरोक्त पेशे से जुड़े हैं तो उन का मजाक भी उड़ाते हैं. हम मान कर चलते हैं कि ये जौब्स सचमुच खराब हैं और हमें या हमारे बच्चों को ऐसे पेशों में नहीं जाना है. लेकिन क्या हम ने कभी यह सोचा है कि हम सब अगर इस तरह के पेशे से दूर रहने लगें या फिर कम सैलरी या तनाव ज्यादा होने के चलते इन नौकरियों से भागने लगें तो हमारे देश, समाज, व्यवस्था, शहरकसबों यहां तक कि देश के भविष्य का क्या होगा?

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