भारत में 20 से 49 साल की उम्र की तकरीबन 27 फीसदी औरतें ऐसी हैं, जिन की शादी 15 साल से कम उम्र में हुई. वहीं 31 फीसदी औरतें ऐसी हैं, जिन की शादी 15 से 18 साल की उम्र के बीच हुई. भारत में शादी की औसत उम्र 19 साल है. गरीब औरतों के मुकाबले अमीर व ऊंचे घराने की औरतें तकरीबन 4 साल बाद शादी करती हैं. लड़कियां जायदाद नहीं हैं. उन्हें अपने भविष्य को चुनने का हक है. जब वे ऐसा करेंगी, तो इस से सभी को फायदा होगा. अपनी बेटी के लिए काबिल वर तलाशने, दहेज के लिए मोटी रकम जुटाने और धार्मिक परंपराओं के दबाव के अलावा और भी कई वजहें हैं, जिन से ज्यादातर भारतीय मातापिता अपनी बेटी को बोझ समझते हैं.

बन रहे हैं गैरजिम्मेदार

हमारे देश की आबादी का एक बड़ा तबका अभी भी बेटेबेटियों की शादी कम उम्र में ही कर देता है. इस से नाबालिग जोड़े समय से पहले ही मांबाप बन जाते हैं और चूल्हाचौका व बच्चों में उलझ कर रह जाते हैं. ऐसी लड़कियां 15 साल की उम्र में मां व 30 से 35 साल की उम्र में दादीनानी बन जाती हैं. राजस्थान में टोंक जिले की मालपुरा तहसील की डिग्गी धर्मशाला में बाल विवाह का ऐसा ही मामला सामने आया, जिस में सरकारी अफसरों समेत लोकल विधायक, पंचायत समिति के प्रधान व सरपंचों ने न केवल जम कर खाना खाया, बल्कि नाबालिग वरवधू जोड़े को आशीर्वाद भी दिया.

यह शादी कोई आम शादी नहीं थी, बल्कि नाबालिग बच्चों की शादी का बड़ा विवाह सम्मेलन था, जिस में लड़के लड़कियों की उम्र 8 से 16 साल थी. लेकिन सरकार के झंडाबरदारों, समाज के ठेकेदारों व जनता के पैरोकारों को यह सब दिखाई नहीं दिया.पता चला कि मंदिर, धर्मशाला, पंडों, समाज के ठेकेदारों व लोकल प्रशासन की मिलीभगत से यह बाल विवाह सम्मेलन खुल्लमखुल्ला हुआ. कानून की हत्या पर कोई भगवाधारी देश को बचाने नहीं आया. आशीर्वाद देने वालों में ज्यादातर तिलक लगाए  घूम रहे थे. इस तरह के किसी मामले को जब ज्यादा तूल दिया जाता है या राजनीतिक रंग दिया जाता है, तो कभीकभार एकाध मामले में कुसूरवारों पर हलकी कार्यवाही कर पुलिस प्रशासन चादर तान कर सो जाता है. जो विरोध करता है, उसे हिंदू विरोधी कह कर डराया जाता है. जाहिर है, लोगों की दिलचस्पी इस बुराई को खत्म करने में कम तमाशा करने में ज्यादा रहती है. यह तमाशा खड़ा करने वाले खास तरह के लोगों का मकसद सिर्फ शोहरत पाना रहता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...