कारोबार के हर क्षेत्र में इन दिनों एक नई संस्कृति का उभार होता नजर आ रहा है और वह है कौर्पोरेट संस्कृति. चिकित्सा के क्षेत्र में भी यह संस्कृति अपने पांव तेजी से फैला रही है. आजादी के बाद से ले कर अब तक अस्पताल प्रबंधन और इलाज में तकनीकी बदलाव के साथ ही साथ पेशेवर रवैया अपनाया जा रहा है. बिड़ला, टाटा, अपोलो, हिंदुजा जैसे बड़ेबड़े औद्योगिक घरानों के अस्पताल पहले से ही सुपर स्पैशलिटी अस्पताल के रूप में जाने जाते थे, अब रिलायंस, डालमिया, इमामी, फोर्टिस सहित बहुत सारे औद्योगिक ग्रुप कौर्पोरेट चिकित्सा के साथ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कदम बढ़ा रहे हैं, फिर वह अस्पताल, नर्सिंगहोम, क्लिनिक, डायग्नौसिस सैंटर हो या स्वास्थ्य बीमा का क्षेत्र. चिकित्सा से जुड़े इन तमाम क्षेत्रों में कौर्पोरेट स्तर की सेवाएं दी जा रही हैं.

आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था को ले कर समयसमय पर हुए सर्वेक्षण का नतीजा यही कहता रहा है कि कौर्पोरेट अस्पताल संस्कृति के कारण आने वाले समय में चिकित्सा क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन आने वाला है. आधुनिक चिकित्सा मोटेतौर पर हर किसी को उपलबध हो रही है. वहीं रोजगार की भी गुंजाइश बढ़ी है. कौर्पोरेट अस्पतालों में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को औपरेट करने वाले प्रशिक्षित लैब तकनीशियनों, रेडियोलौजिस्ट, फिजियोथेरैपी पैरामैडिकल स्टाफ, नर्सिंग कर्मियों और नई बीमारियों से निबटने के लिए विशेषतौर पर प्रशिक्षित डाक्टरों के लिए भी गुंजाइश बढ़ी है.

स्वास्थ्य सेवा के सितारे

भारत में स्वास्थ्य सेवा का पिछले ढाईतीन दशकों का सफर बड़ा दिलचस्प रहा है. कौर्पोरेट चिकित्सा पद्घति से पहले देश के निजी अस्पतालों में सुपरस्पैशलिटी सेवाएं आरंभ हुईं. इस ने स्वास्थ्य सेवा को एक नया आयाम तो दिया पर यह एक खास वर्ग तक ही सीमित थी. स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कुछ नाम हैं जिन्होंने इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयां दी हैं और ये नाम इस क्षेत्र के सितारे हैं. ऐसा ही एक नाम हैं डा. प्रताप रेड्डी. इन के अवदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता. अपोलो फेम डा. रेड्डी को भारत के कौर्पोरेट चिकित्सा क्षेत्र में अग्रणी के रूप में जाना जाता है. इस क्षेत्र में अपोलो एक क्रांति के रूप में उभर कर आया. कहते हैं डा. रेड्डी का मकसद भारत में अपोलो अस्पतालों की श्रृंखला के रूप में ऐसा मैडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का था जिस में हर किसी को इलाज मुहैया हो सके. देश का आम आदमी चिकित्सा का खर्च वहन कर सके.

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