आपातकाल के दिनों की बात है. मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए एक याचिका आई जिस में कहा गया था कि तमिलनाडु में पेरियार की मूर्तियों के नीचे जो बातें लिखी हुई हैं, वे आपत्तिजनक हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं इसलिए उन्हें हटाया जाना चाहिए. याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ईरोड वेंकट रामास्वामी उर्फ पेरियार जो कहते थे, उस पर विश्वास रखते थे इसलिए उन के शब्दों को उन की मूर्तियों के पैडेस्टर पर लिखवाना गलत नहीं ह

पेरियार की मूर्तियों के नीचे लिखा था- ‘ईश्वर नहीं है और ईश्वर बिलकुल नहीं है. जिस ने ईश्वर को रचा वह बेवकूफ है, जो ईश्वर का प्रचार करता है वह दुष्ट है और जो ईश्वर की पूजा करता है वह बर्बर है.’ पेरियार ने लगभग 90 वर्ष पहले तमिलनाडु में आत्मसम्मान मुहिम की स्थापना की थी और आज भी उन के राजनीतिक व सामाजिक विचार वरिष्ठ राजनीतिज्ञ एम करुणानिधि से ले कर विख्यात तमिल ऐक्टर कमल हासन तक को प्रभावित कर रहे हैं. लेकिन तर्कवादी व मानवतावादी संगठन केवल तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं हैं. देश के लगभग हर राज्य में ये संगठन धार्मिक अंधविश्वास व सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. बावजूद इस के कि उन के सदस्यों को न सिर्फ हर रंग के दक्षिणपंथियों की धमकियां बरदाश्त करनी पड़ रही हैं बल्कि कई मामलों में तो उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है, जैसा कि नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे व एम एम कलबुर्गी की हत्याओं से यह स्पष्ट हो जाता है. लेकिन फिर भी संघर्ष जारी है.

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