देश के उज्ज्वल भविष्य की पौध तैयार करने वाले शिक्षण संस्थान आज राजनीतिक प्रोपेगेंडे का अड्डा बनते जा रहे हैं और छात्र इस राजनीति का शिकार हो रहे हैं. लोकतंत्र में जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है, अपनी बात कहने का पूरा हक होता है वहीं आज अपनी बात कह कर फंस जाने का कारण बनता जा रहा है, जिस से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार छिनता प्रतीत होता है, जिस का असर छात्रों पर पड़ रहा है. छात्र विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने के मकसद से आते हैं, लेकिन यहां धर्म के तथाकथित धंधेबाज अपना धंधा चमकाने के लिए उन का गलत इस्तेमाल करते हैं और विरोध करने पर उन के साथ दुराचार किया जाता है, जिस में सैंडविच बने छात्र पढ़ाई तो भूल ही जाते हैं.

देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रों को न केवल राजनीतिक दलों के झंडाबरदार अपने विचारों को अपनाने पर मजबूर करते हैं बल्कि उन के आदेश न मानने पर उन्हें भारीभरकम विरोध और गालीगलौज तक सहना पड़ता है, जिस से प्रभावित हो कर वे पढ़ाई कर देश के विकास में योगदान देने की बात सोचना छोड़ अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं. पिछले वर्ष दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जो कुछ घटित हुआ वह किसी से छिपा नहीं है. वहां कन्हैया कुमार को नायक बना राजनीति की रोटियां सेंकी गईं. देश विरोधी नारे लगाए गए. फिर कन्हैया को गिरफ्तार किया गया और उस पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया.

कन्हैया औल इंडिया स्टूडैंट फैडरेशन का अध्यक्ष और वामपंथी विचारधारा का समर्थक था. इस तरह वह भगवा खेमे का विरोधी भी हुआ. सो एबीवीपी जोकि आरएसएस का एक अंग है, को उन के विरोध का मौका मिल गया. उधर वामपंथी भी खुल कर कन्हैया के समर्थन में उतर आए और एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया. इस सब का संबंध रोहित वेमुला से जुड़ा जो आत्महत्या कर चुका था. ताजा उदाहरण दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कालेज की छात्रा गुरमेहर कौर का है, जो ‘पोस्टकार्ड्स फौर पीस’  नामक चैरिटेबल संस्था की एंबैसेडर भी है. गुरमेहर कौर तब खबरों में आई जब रामजस कालेज में हुई हिंसा के खिलाफ उस ने ‘स्टूडैंट्स अगेंस्ट एबीवीपी’ नामक कैंपेन की शुरुआत की. विदित हो, रामजस कालेज में कल्चर औफ प्रोटैस्ट सैमिनार में हिंसा हुई थी. उस समय वहां जेएनयू के छात्र उमर खालिद और शेहला राशिद भी आमंत्रित थे, जिस पर एबीवीपी बिफर उठी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...