खाने में स्वाद का तड़का लगाते मसालों की बागबानी न सिर्फ थाली में खुशबू फैलाती है बल्कि घर व बाग को प्रदूषणमुक्त बनाने में कारगर है. वर्तमान में मसालों की बागबानी फसलों के समूह का किस तरह अहम हिस्सा बन कर उभरी है, बता रही डा. रेखा व्यास.

हर पौधा उपयोगी है. यह और बात है कि कई पौधे ऐसे हैं जिन की उपयोगिता से हम अपरिचित हैं. आयुर्विज्ञानी चरक के गुरु ने चरक और एक और छात्र को उपयोगी वनस्पति लाने को कहा. वह छात्र सुबह से शाम तक घूम कर कुछ वनस्पतियों के नमूने ले कर वापस आ गया. चरक कई दिन तक न लौटे. जब लौटे तो खाली हाथ. सब ने खूब उपहास किया. गुरु ने इस का कारण पूछा तो उन्होंने बताया,  ‘मैं ने कई जगह भ्रमण किया. हर वनस्पति उपयोगी है, अब मैं किसकिस को साथ लाता. मु?ो कोई अनुपयोगी भी नहीं लगी कि मैं उसे ही साथ ला कर आप को दे देता कि यह अनुपयोगी है, शेष उपयोगी. अपनी बात प्रमाणित करने के लिए मैं वनस्पतियों के गुण भी लिख कर लाया हूं.’

अमूमन घर में छोटेछोटे पेड़पौधे, लताएं लगाई जाती हैं जो घर के अनुकूल हों और जिन के लिए घर भी अनुकूल हो. जगह कम होने के कारण कुछ लोगों को नितांत उपयोगी पौधे ही पसंद आते हैं. फूल कैक्टस, बोनसाई आदि उन्हें अपनी दृष्टि से महंगे व कम उपयोगी लगते हैं. हालांकि ये घर को ईकोफ्रैंडली और प्रदूषणमुक्त बनाने में भी कारगर होते हैं. ऐसी स्थिति में नितांत उपयोगी का कौंसैप्ट कुछ पौधे तक सीमित कर देता है. राजस्थान के एक किसान विनोद कुमार कहते हैं, ‘‘बड़े शहरों में फूल कैक्टस, सजावटी पौधों की मांग रहती है तो छोटे शहरों में खाद्य में काम आने वालों की पूछ होती है. इसलिए वे गमलों में करी पत्ते, मिर्च व धनिया के पौधे उगाते हैं और घर की जरूरत को पूरी करने के साथ अच्छा पैसा भी कमा लेते हैं.

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