स्मार्टफोन्स जहां हमें स्मार्ट बनाते हैं वहीं उस का गलत इस्तेमाल हमारी पर्सनैलिटी को ध्वस्त भी कर सकता है. भले ही आप ऊंची आवाज में बात कर के या फिर डिस्को रिंगटोन लगा कर खुद को हीरो, मौडर्न और संतुष्ट समझें लेकिन ये बातें मोबाइल ऐटिकेट्स के खिलाफ हैं और आप के व्यक्तित्व पर बट्टा लगाती हैं. इसलिए शिष्टाचार में रह कर ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना चाहिए.

क्या कहते हैं मोबाइल ऐटिकेट्स

ऊंची रिंगटोन कहीं बन न जाए मजाक

घर हो या बाहर अधिकांश लोग अपने फोन में ऊंची साउंड करने वाली रिंगटोन सैट कर के रखते हैं और पब्लिक प्लेस में जैसे ही फोन बजता है तो टशन मारते हुए फोन निकालते हैं और सोचते हैं जैसे फोन सिर्फ उन के पास ही है. इसे भले ही वे टशन समझें लेकिन देखने वाले तो हंसी ही उड़ाते हैं और साथ ही एक नहीं कईकई बार मुड़मुड़ कर देखते हैं. इस से जहां आप हंसी के पात्र बनते हैं वहीं दूसरे भी आप की इस हरकत से डिस्टर्ब होते हैं. यदि आप इसलिए रिंगटोन पर फोन रखते हैं ताकि कोई फोन मिस न हो तो कोशिश करें कि स्लो वौल्यूम वाली रिंगटोन लगाएं और पब्लिक प्लेस जैसे बस, ट्रेन, सिनेमा हौल वगैरा में तो फोन वाइबरैशन पर ही रखें.

तेज तेज बोल कर खुद को गंवार न बताएं

कुछ लोगों को तेज बोलने की आदत होती है लेकिन कुछ तो अपनी पर्सनल चीजें जानबूझ कर लोगों को सुनाने के लिए जोरजोर से फोन पर बातें करते हैं. जैसे औफिस में अपनी शान दिखाने के लिए जैसे हमारी घर में कितनी चलती है फोन पर कहते हैं कि रात के खाने में ये बना लेना, शाम की चाय के साथ स्नैक्स में ये रख लेना. इस से उन की बातें लोगों तक पहुंच जाती है और फिर बात खत्म होते ही स्टाइल मारते हुए फोन काट देते हैं.

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