400 साल के बाद महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में अब पुरूषों के साथ महिलायें चबूतरे पर पूजा कर सकेंगी. शनि शिंगणापुर ट्रस्ट के महासचिव दीपक दादा साहेब ने कहा कि हमने संविधान का सम्मान करते सबको पूजा की अनुमति दे दी है. ट्रस्ट की अध्यक्ष अनीता शेटे ने कहा कि महिलाओं पर कोई रोकटोक नहीं होगी. यह मामला बाम्बे हाईकोर्ट तक गया था. कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा था कि यदि एक पुरूष किसी मूर्ति के सामने बैठ कर पूजा कर सकता है तो एक स्त्री क्यो नहीं? 8 अप्रैल को शाम 5 बजे दो महिलाओं ने मूर्ति पर तेल चढाया. 7 बजे पूजा की. पूरे मामले को इस तरह से समाज के सामने रखा जा रहा है जैसे पूजा के इस अधिकार के बाद महिलाओं की हालात में बहुत बदलाव हो जायेगा. महिलाओं की हालत बदल जायेगी. देश के करीब करीब सभी मंदिरों में महिलाओं को पूजा का अधिकार मिला है. बिहार के नालंदा में पावापुरी जलमंदिर से 5 किलोमीटर दूर आशापुरी मंदिर है, यहां अभी भी महिलाओं के शारदीय नवरात्रि में पूजा करने पर रोक लगी है.

शनि शिंगणापुर मंदिर में पूजा के अधिकार के बाद शिंगणापुर गांव के लोग इसका विरोध कर रहे है. विरोध करने वाले लोगों को कहना है कि मंदिर में औरतों प्रवेश को वह सही नहीं मानते है और इसका विरोध करेगे. इसको लेकर शिंगणापुर बंद का आयोजन भी किया गया है. गांव की पंचायत ‘भूमाता रणरागिणी ब्रिगेड’ का विरोध कर रही है. इस संस्था ने ही शनि शिंगणापुर मंदिर में औरतों के प्रवेश को लेकर आंदोलन चलाया था. देश में ऐसी बहुत सी जगहें और मंदिर है जिनमें लिंग और जाति के भेदभाव के आधार पर प्रवेश नहीं दिया जाता है. इस बात को लेकर कभी महिलायें तो कभी दलित आंदोलन करते है. धीरे धीरे बहुत सारी जगहों पर प्रवेश मिलने लगा. आजादी के बाद से इस तरह के अधिकार देकर ऐसा दिखावा किया जा रहा है जैसे कि दलित और औरतों को बराबरी का अधिकार दे दिया गया है.

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