‘‘साहब, यह बिलकुल नई है. कभी कोठे पर नहीं आई. बच्चा होने पर पति से झगड़ा हो गया. पति ने घर से निकाल दिया. अपना और बच्चे का पेट पालने के लिए कोठे पर आ गई. इस जगह ऐसी और कोई नहीं मिलेगी.’’

मीरगंज की सड़क पर अंदर घुसते ही सुभाष को एक लड़का मिल गया. 22 साल का यह लड़का मीरगंज में देह धंधा करने वालियों के लिए ग्राहक लाने का काम करता था. लड़के की बातों में फंस कर सुभाष उस कमरे में पहुंच गया, जहां वह थी. सीढि़यों से चढ़ कर जब सुभाष दूसरी मंजिल पर पहुंचा, तो उस ने एकजैसे कई कमरे देखे. कुछ कमरों के दरवाजे खुले थे, तो कुछ के बंद थे. लड़के ने एक कमरे का दरवाजा खोला और सुभाष को अंदर भेज दिया. अंदर एक 20-22 साल की लड़की थी. आपसी बातचीत के बाद लड़की ने कमरे में पड़े तखत पर बैठने का इशारा किया. सुभाष को लगा, जैसे वह लड़की वहां के माहौल से बहुत वाकिफ नहीं थी. थोड़ी देर में सुभाष ने उस लड़की के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की शुरुआत की, तो उसे एहसास हुआ कि वह शायद हाल ही में मां बनी थी. लड़की बोली, ‘‘यह तो रोज का धंधा है. इसी से रोटी मिलती है, जिस से मेरा और बच्चे दोनों का पेट भरता है.’’

‘‘कभी ग्राहक के साथ समय बिताते समय तुम्हारा बच्चा रोता नहीं?’’ सुभाष ने ऐसे ही पूछ लिया

‘‘यह बच्चा यहीं का है. इसे यहां के हर कदम की आहट पता है. जब तक पराया मर्द यहां रहता है, तब तक यह सोता रहता है. आप इस की चिंता मत करो,’’ लड़की ने जवाब देते हुए कहा. सुभाष के लिए यह पहला अनुभव था, पर वह लड़की तो बच्चा पैदा होने के तीसरे दिन से ही यह सब कर रही थी. उस के लिए नया कुछ नहीं था. ‘‘बच्चा देख कर ग्राहक दूर नहीं हो जाते?’’ सुभाष ने पूछा.

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