पासपोर्ट बनवाने में एवरेस्ट चढ़ने से भी ज्यादा दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है. कोशिश करने पर लोग एक दफा एवरेस्ट तो फतह कर सकते हैं पर पासपोर्ट बन जाएगा इसकी कोई  गारंटी नहीं. देश भर के पासपोर्ट दफ्तरों के बाहर आवेदक रोनी सूरत लिए पासपोर्ट बनवाने लाइन लगाए खड़े रहते हैं लेकिन यह एक दो बार में नहीं बनता कई बार तो दर्जनों चक्कर उन्हें लगाना पड़ते हैं.

दरअसल में पासपोर्ट हासिल करने में इतनी कागजी कारवाइयां आवेदकों को करनी होती हैं और तरह तरह के दस्तावेज नत्थी करना पड़ते हैं कि वे पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया से तंग आकर उसका खयाल तक छोड़ने लगते हैं. ऐसी कठिन घड़ी में पासपोर्ट कार्यालयों के बाहर घूमते दलाल वाजिब दक्षिणा लेकर उनका काम करवा देते हैं जिनके अंतरंग सम्बन्ध कमीशन पर मुलाजिमों से होते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों का यह दर्द समझते हुए नियमों में कुछ रियायतें दी हैं. इंडियन मर्चेन्ट चेम्बर्स की महिला विंग के गोल्डन जुबली समारोह में मोदी ने दरियादिली दिखाते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये घोषणा की कि अब पासपोर्ट के लिए शादी या तलाक के दस्तावेज नहीं दिखाने होंगे, यह महिलाओं का अधिकार है कि वे पासपोर्ट पर माता पिता का नाम इस्तेमाल करें.

हालांकि इसके पहले 8 फरवरी को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज लोकसभा में बता चुकीं थीं कि अब बिना शादी के पैदा हुये, अनाथ या गोद लिए बच्चों की सहूलियत के मद्देनजर नियमों मे ढील दी जा रही है पर इस बात पर उन्होंने खासा जोर दिया था कि अलग रह रहे लोगों को पासपोर्ट के लिए पति या पत्नी का नाम या तलाक का प्रमाणपत्र पेश करने की जरूरत नहीं है.

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