भारतीय शिक्षा पद्धति के जनक मैकाले की सदैव यह कह कर आलोचना की जाती है कि उन्होंने क्लर्क पैदा करने की शिक्षा पद्धति बनाई, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने कुछ और भी कहा था. मैकाले ने कहा था कि मुझ से सबकुछ ले लो, मगर सिर्फ दो चीजें मेरे पास रहने दो, जिज्ञासा और आमोदप्रमोद जब मनुष्य धरती पर आया तो वह आज के मनुष्य की तरह नहीं था. वह जंगली था, जानवरों में और उस में कोई खास फर्क नहीं था, लेकिन धीरेधीरे उस में सोचने की ताकत आई और इसी ताकत ने उसे जानवरों से अलग कर दिया. इस के कारण ही एक छोटा सा मनुष्य एक बड़े हाथी के सिर पर बैठ कर उस से जो चाहता है, करवा लेता है. यह तो मात्र एक उदाहरण है. ऐसी और भी कई बातें हैं.

कहने का मतलब यह है कि जिज्ञासा ने आदमी को कहां से कहां पहुंचा दिया. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि आदमी और पशु में शायद यही भेद है कि आदमी में जिज्ञासा होती है जबकि पशु में जिज्ञासा नहीं होती. आदमी में अगर चीजों, घटनाओं और व्यवस्थाओं के बारे में जानने की जिज्ञासा नहीं होती तो वह कभी प्रगति नहीं कर पाता.

अत: जिस में जिज्ञासा हो वह आदमी हर किसी से हर पल कुछ न कुछ सीख सकता है. एक छोटा सा कागज का टुकड़ा जिसे हम सड़क पर पड़ा देखते हैं, वह शायद संसार की किसी पुस्तक का कोई पृष्ठ है. उस से भी आप को कोई नई बात मालूम हो सकती है. बशर्ते आप को पढ़ना आता हो.

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