भ्रम उलझन पैदा करता है. कैरियर के चयन में यह अवरोधक का काम करता है. इस की वजह से व्यक्ति अपना लक्ष्य तय नहीं कर पाता. यह व्यक्ति को डरपोक व लापरवाह बना देता है. आज बहुत से युवा कैरियर चयन के मामले में खुद को एकाग्रचित्त नहीं कर पाते. ‘यह करूं या वह करूं, नौकरी करूं या व्यापार करूं, यह कोर्स करूं या वह करूं’ जैसी भ्रम वाली स्थिति में फंसे रहते हैं.

भ्रम के अनेक कारणों में मुख्य कारण नकारात्मक सोच का होना है. नकारात्मक सोच संकीर्ण मानसिकता को जन्म देती है. इस से युवाओं को फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो रहा है. इस भ्रम की स्थिति से कैसे उबरा जाए, प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स :

यदि आप चाहते हैं कि भ्रम की स्थिति पैदा न हो, तो इस के लिए सकारात्मक सोच का होना बहुत जरूरी है. स्वयं में आत्मविश्वास पैदा करें. साथ ही परिस्थितियों से डट कर मुकाबला करने की हिम्मत जुटाएं. चुनौतियों का सामना करना सीखें. दृष्टिकोण सकारात्मक रखें. नकारात्मक विचारों को अपने पास न आने दें. अपने निर्णय के प्रति दृढ़ रहें.

अपना लक्ष्य निर्धारित करें

वही व्यक्ति ऊंचाइयों को छूते हैं, जो शुरू से ही अपना लक्ष्य तय कर लेते हैं. काम को सिर्फ पसंद न बनाएं बल्कि उपयोगिता को समझते हुए उसे करें. केवल आदर्श काम की ही तलाश में न रहें, जो सामने हो, उसे ही पहले करने की कोशिश करें.

यह सच है कि कभीकभी तय किए गए लक्ष्य को प्राप्त करना आसान नहीं होता, पर थोड़ी लगन, सूझबूझ और मेहनत से काम किया जाए, तो कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है. पंडित श्यामसुंदर द्विवेदी गांधीजी से मिलना चाहते थे, इस के लिए उन्हें केवल 4 मिनट का समय मिला. जब वे निर्धारित समय पर गांधीजी से मिलने साबरमती आश्रम पहुंचे तो 3 मिनट लेट थे. गांधीजी ने उन्हें देखा और मुसकरा कर कहा, ‘‘पंडितजी, आप आ गए, कुशल तो हैं?’’

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