लड़ाईझगड़े के दौरान लोगों का गालीगलौज करना आम बात है. लेकिन कभीकभी लोग आदतन गाली देते हैं. ऐसे लोग गाली को गाली समझते ही नहीं. कभीकभी ऐसा भी होता है कि आदतन गाली देने वाले लोग गाली देते तो दूसरों को हैं, पर वे उलट कर उन्हीं को मिल जाती हैं. ‘उल्लू का पट्ठा’. इस का मतलब होता है उल्लू का बच्चा. इस गाली का मतलब यह है कि ‘तुम्हारे पिता उल्लू (मूर्ख) हैं, इसलिए तुम भी वैसे ही हो’. यहां तक तो ठीक है, लेकिन कुछ लोग खुद अपने बच्चे को ही ‘उल्लू का पट्ठा’ कहने लगते हैं. वे समझते हैं कि बच्चे को गाली दे रहे हैं, लेकिन इसी सोच में वे खुद अपने को ‘उल्लू’ बना डालते हैं.

दूसरी गाली है, ‘हरामी’ या हरामी का पिल्ला’. ‘हरामी’ का मतलब है नाजायज औलाद. ‘हरामी का पिल्ला’ का मतलब है ‘नाजायज औलाद की औलाद’. कई लोगों को अपने बच्चों को ‘हरामी’ कहते सुना जाता है. कई मांएं भी अपने बच्चों को ऐसी गाली देती हैं. एक  मां से पूछा गया, ‘‘आप इसे ‘हरामी’ कह रही हैं, पर इस में इस बच्चे का क्या कुसूर है?

‘‘आप ने जब अपने पति के अलावा किसी दूसरे आदमी के साथ संबंध बनाया, तभी तो यह बच्चा ‘हरामी’ कहलाया.’’ अगर कोई औरत अपने बच्चे को ऐसी गाली देती है, तो अपने पति को ‘हरामी’ बनाती है. हम ने पढ़ेलिखे लोगों को भी अपने बच्चों को ‘साला’, ‘ससुर’, ‘ससुरा’, ‘ससुरी’ जैसी गाली देते सुना है. अब अगर कोई अपने बच्चे को ‘साला’ कहता है, तो इस का मतलब यह हुआ कि जिसे गाली दी जा रही है, उस की बहन गाली देने वाले की बीवी हुई. अपने बच्चे को ‘साला’ कहने का मतलब हुआ, अपने लड़के की बहन यानी खुद अपनी बेटी को बीवी बनाना. अगर कोई अपने बच्चे को ‘ससुर’ या ‘ससुरा’ की गाली देता है, तो इस का मतलब यह हुआ कि वह खुद पोती को अपनी बीवी बनाना चाहता है.

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