विजातीय प्रेम संबंध की सजा सामूहिक बलात्कार. प्रगतिशील बंगाल के एक गांव लाभपुर की एक सालिसी सभा में यही सजा सुनाई गई थी, जिस की चर्चा देशभर में है. कुछ साल पहले पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ के मीरवाल गांव में भी भाई के विजातीय प्रेम संबंध की सजा बहन मुख्तारन को पंचायत ने सुनाई थी. वह भी कुछ ऐसी ही सजा थी. सामूहिक बलात्कार के बाद उस के बदन के बाकी बचे कपड़े को भी तारतार कर के देह का प्रदर्शन पूरे गांव में किया गया.

पाकिस्तान की ऐसी तालिबानी संस्कृति भारत में भी है. इस का सबूत है लाभपुर. हालांकि इस से पहले उत्तर प्रदेश के बेहमई गांव में फूलन देवी के साथ हुई घटना को भी याद कर लिया जाए. लगभग 35 साल पहले की घटना है. ठाकुरों ने मल्लाह जाति द्वारा की गई हुक्म उदूली यानी आदेश की अवहेलना की सजा फूलन देवी को सुनाई थी. सामूहिक बलात्कार और बेधड़क मारकुटाई के बाद फूलन को बाल पकड़ कर घसीटते हुए पूरे गांव में निर्वस्त्र घुमाया गया था.

अंतत: बीहड़ में बागियों के दल में जा कर उस ने आश्रय लिया. लेकिन वहां भी ठाकुरों और मल्लाह जाति के बीच पिसती रही फूलन. ठाकुर जाति के एक बागी ने फूलन को चांटा मारा. बचपन से बागी तेवर वाली फूलन को यह सहन नहीं हुआ. बागियों का सरदार मल्लाह जाति का विक्रम था. विक्रम के कहने पर ठाकुर जाति के बागी को फूलन से माफी मांगनी पड़ी. लेकिन बाजी पलट गई. विक्रम को मार कर ठाकुर जाति के बागियों ने दल पर कब्जा कर लिया. एक बार फिर से फूलन ठाकुरों के निशाने पर आई. फिर से सामूहिक बलात्कार और नंगा कर घुमाए जाने का अपमान सहना पड़ा फूलन को.

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