शालिनी और संजीव के परिवार एकदूसरे को लंबे अरसे से जानते थे. इस नाते शालिनी के लिए संजीव कोई अनजाना नहीं था. संजीव अच्छी जगह काम करता था. उस की तनख्वाह भी आकर्षक थी. कहने का मतलब उस में वे सभी गुण थे जो किसी आदमी में शादी करने के लिए होने चाहिए. दोनों परिवार एकदूसरे के काफी नजदीक भी थे, जिसे अब वे रिश्तेदारी में बदलना चाहते थे. और उन्होंने ऐसा किया भी यानी शालिनी और संजीव की सगाई कर दी.

सगाई के बावजूद शालिनी ने महसूस किया कि संजीव ने कभी अपनी तरफ से उसे कौल नहीं किया, न ही रोमांटिक होने का कोई संकेत दिया और जब कभी वे साथ फिल्म भी देखने जाते तो सिनेमाघर में अजनबियों की तरह पास बैठे रहते. संजीव ने कभी शालिनी का हाथ तक नहीं पकड़ा. इन तमाम संकेतों से शालिनी को संदेह होने लगा कि कहीं संजीव का अफेयर तो नहीं है.

शादी जीवन का एक महत्त्वपूर्ण फैसला है. तमाम बातों को सोचसमझ कर व ऊंचनीच को देख कर ही इस संदर्भ में आगे कदम बढ़ाया जाता है. एक दौर तो वह था जब शादी के लिए केवल इतना आवश्यक था कि घर की बुजुर्ग महिलाओं का अपना नैटवर्क हुआ करता था जो अपनी उम्र की दूसरी महिलाओं व गौसिप आंटियों के जरिए लड़कियां लड़कों का चालचलन अच्छी तरह से मालूम कर लिया करती थीं. सबकुछ ठीक होता था तो फिर पंडित को बुला कर संभावित दूल्हादुलहन की जन्मपत्रियों का मिलान करा लिया जाता था.

प्राइवेट जासूसों का चलन

लकिन सोशल नैटवर्किंग, औनलाइन डेटिंग व मैट्रीमोनियल साइटों के बढ़ते चलन के कारण आज जिस प्रकार से युवा लड़के व युवा लड़कियां एकदूसरे से मिलते हैं, उस का पूरा अंदाज बदल गया है. साथ ही चिंताओं के दायरे में भी नयापन आया है. आज स्थिति यह है कि चाहे अरेंज्ड मैरिज हो या प्रेम विवाह, दोनों में ही कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारियां हासिल करना आवश्यक हो गया है. जाहिर है यह काम परिवार की बुजुर्ग महिलाओं व पंडित के वश के बाहर है, खासकर तब जब लड़के व लड़की की रिहाइश के स्थान अलगअलग शहरों या अलगअलग देशों में हों. इसलिए विवाहपूर्व जानकारी हासिल करने के लिए प्राइवेट जासूसों का चलन बढ़ता जा रहा है.

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