महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाका 1972 के बाद सब से बड़े सूखे की चपेट में है. वहां के लोग बूंदबूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. पिछले 4 सालों से चल रहे सूखे के कारण खेत रेगिस्तान जैसे नजर आने लगे हैं. सूखा तो इन इलाकों में अकसर हर साल ही पड़ता है लेकिन मौजूदा सूखे ने पिछले 4 दशकों का रिकौर्ड तोड़ दिया है. फसलें तबाह होने के चलते किसानों द्वारा आत्महत्याएं किए जाने के कारण मराठवाड़ा सुर्खियों में ज्यादा रहता है.

यहां का लातूर जिला इन दिनों पानी के अकाल के कारण चर्चा में है. यहां पानी का अकाल इस सीमा तक पहुंच चुका है कि सारे देश से रेल के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है. पानी को ले कर ऐसी मारामारी रही कि पानी के लिए यहां धारा 144 लगानी पड़ी. लातूर में पानी का अकाल चरम पर है. लगातार 3 सालों से पड़ रहे सूखे ने किसानों की तो सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, उस पर पानी के जबरदस्त संकट ने इलाके को घेर लिया है. तालाब सूख चुके हैं, हैंडपंप बेकार हो गए हैं. कुओं में पानी नहीं, कुएं की तली दिखाई देती है. मराठवाड़ा की धरती भी प्यासी है और लोग व मवेशी भी प्यासे हैं.

जलाशयों में जल नहीं

मराठवाड़ा के बांधों में पिछले साल जलस्तर 18 प्रतिशत था, इस साल उन में केवल 3 प्रतिशत ही पानी रह गया है. बीड़, लातूर और उस्मानाबाद के बांधों में जलस्तर एक फीसदी से भी नीचे आ चुका है. औद्योगिक इलाके औरंगाबाद में आने वाले कुछ महीनों में पानी बंद हो सकता है. 2014 से इलाके में कम बारिश हो रही है. यह सब देखने पर लगता है कि कोई क्या कर सकता है यह तो प्रकृति के खेल हैं, भुगतने ही होंगे. लेकिन जानकार कहते हैं कि हम प्रकृति को बेकार ही दोष दिए जा रहे हैं. यह विभीषिका आसमानी नहीं, सुलतानी है, प्रकृति निर्मित नहीं, मनुष्य निर्मित है. महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सूखा एक रात में आई हुई आपदा नहीं है. राज्य की शिवसेनाभाजपा सरकार इस के लिए तैयारी नहीं कर रही थी. सरकार को सिंचाई पर ज्यादा जोर देना चाहिए. जब तेलंगाना जैसे छोटे राज्य ने अपने बजट में इस मद में 25 हजार करोड़ रुपए रखे हैं तो महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य ने केवल 7 हजार करोड़ रुपए क्यों रखे?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...