विकास और आंचल एकदूसरे से प्रेम करते थे. दोनों के घर वालों ने इस प्रेम को नाम देने का निश्चय किया और शादी के लिए मान गए. सगाई के कुछ दिन बाद आंचल के पिता ने लड़के को नशे का आदी पाया. उन की इस घोषणा से कोहराम मचा. आंचल ने भी तूफान खड़ा किया. खैर, यह बात सही निकली तो उस के पीछे दस तरह की और आशंकाएं सिर उठाने लगीं. सब से आखिर में किया जाने वाला काम पहले किया गया यानी सगाई तोड़ दी गई. विकास के लिए यह आन, मान और प्यार का मसला था. वह नशा मुक्ति केंद्र भी जा रहा था.

प्यार को खोने तथा सगाई तोड़ने के आघात को वह सह न सका. उस ने जहर खा लिया. जब उसे लगने लगा कि वह मर ही जाएगा तो वह घबरा गया और डाक्टर से कहने लगा कि उस के गम में उस के मम्मीपापा मर जाएंगे. वह मांबाप का इकलौता लड़का है. बड़ी कोशिशों के बाद पैदा हुआ है. बहरहाल, उसे बचाया न जा सका. अब कई वर्ष बीत गए हैं. उस के मातापिता जिंदा लाश बन कर जी रहे हैं. आज 48 साल की हो चुकी आंचल भी कहीं शादी करने को तैयार नहीं. वह विकास की मृत्यु का कारण अपने को ही मानती है. वह भावावेश को आत्महत्या का कारण मानती है.

कइयों का जीवन प्रभावित

इस प्रकार एक व्यक्ति का जीवन सिर्फ एक व्यक्ति का जीवन नहीं होता, उस से कई और जीवन भी प्रभावित होते हैं. मरने वाला मर जाता है पर उस के परिवार के सदस्य जीवित तो रहते हैं लेकिन उन की स्थिति किसी लाश से कम नहीं होती. वे हरपल घुटते हैं. उन का मनोबल टूट जाता है. वे अपने को लज्जित महसूस करते हैं व स्वयं को इस की मौत का जिम्मेदार मान कर खुद को अपराधभाव से ग्रसित कर लेते हैं.

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