वृक्ष, झाड़ियों, लताओं व फूलों का ऐसा स्थान जो प्राकृतिक वनस्पतियों व कृत्रिम साधनों के मिलेजुले रूप में वैज्ञानिक व कलात्मक उपायों द्वारा सुसज्जित किया गया हो, अलंकृत उद्यान कहलाता है. अनेक प्राकृतिक स्थल जो आकर्षक व प्रिय नहीं होते उन्हें वनस्पतियों के जरिए कलात्मक रूप प्रदान किया जा सकता है. इसे लैंडस्केपिंग कहते हैं.

अलंकृत उद्यानों की शैलियां : अलंकृत उद्यानों की 2 मुख्य शैलियां होती हैं, एक नियमित या ज्यामितीय शैली और दूसरी प्राकृतिक या दृश्यभूमि शैली. पहली शैली में ज्यामितीय यानी नियमित नियमों का पालन कर के उद्यान बनाया जाता है जबकि दूसरी शैली में आधुनिक उद्यान कला यानी मौडर्न गार्डन आर्ट के सिद्धांत के आधार पर उद्यान बनाए जाते हैं. वृक्षों व झाड़ियों के झाड़ों आदि के द्वारा इस में विभिन्न प्राकृतिक तत्त्वों का समायोजन किया जाता है.

इन 2 शैलियों के अतिरिक्त तीसरी शैली भी है जिस में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों शैलियों के कुछ तत्त्वों को ले कर लैंडस्केपिंग की जाती है.

उद्यान अभिकल्पना के सिद्धांत : उद्यान तैयार करने के लिए इन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है : उद्यान का स्थान, उद्यान की बाड़, उद्देश्य की प्रधानता, जरूरत के मुताबिक बदलाव की गुंजाइश, एकरूपता, आकार, विभाजन, क्रमिक प्रबंध, प्रकाश, छाया, गठन या बनावट, रंग व रंग की गहनता और लय तथा सामंजस्य.

लैंडस्केपिंग में सड़क, रास्ते व पगडंडियां बनाने का उद्देश्य यह होता है कि दर्शक प्रत्येक सौंदर्यस्थल पर सुगमता से पहुंच सकें. सड़कें औपचारिक उद्यान शैली के अनुसार हो सकती हैं. सड़कों के किनारे सुंदर पुष्पीय व छायादार वृक्ष लगाए जाते हैं. आमतौर पर भारत के मैदानी क्षेत्रों में वृक्षों को जून से अगस्त तक लगाया जाता है. इन दिनों मानसून के कारण पानी देने की जरूरत नहीं होती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...