क्रयक्षमता तथा जीवनस्तर में वृद्धि के कारण वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जबकि सड़कों की क्षमता स्थायी बनी हुई है. एक ओर तेज गति के सभी वाहनों का तीव्र उत्पादन तो दूसरी ओर सरकारी वाहनों की सड़कों पर भरमार. सब को जल्दी है तुरंत गंतव्य स्थान पर पहुंचने की. हम ठहरना नहीं चाहते. बस, दौड़ रहे हैं, दौड़े जा रहे हैं.
यह सही है कि अनेक बार नियमबद्ध, उचित एवं सही ढंग से वाहन चलाने पर भी दुर्घटनाएं हो जाती हैं. दूसरे की गलती का परिणाम किसी दूसरे को भुगतना पड़ता है. जल्दबाजी, लापरवाही, हड़बड़ाहट या सुरक्षा नियमों का पालन न करना दुर्घटनाओं के मुख्य कारण बन जाते हैं. यातायात आचार संहिता का पालन व्यक्तिगत तौर पर भी पूरी सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए.
अनगिनत हादसे समाचारपत्रों में प्रकाशित होते हैं. 21 वर्षीय मोटरसाइकिल सवार का जोरदार ऐक्सिडैंट हुआ. बस उस के पैरों को कुचलते हुए निकल गई. जब उसे होश आया तो उस ने बताया कि वह अपनी सामान्य गति से मोटरसाइकिल चला रहा था कि उस के आगे चलती कार का दरवाजा खुला और किसी ने मुंह निकाल कर पीक थूकी. गाड़ी का अचानक दरवाजा खुलने से मोटरसाइकिल उस से टकरा गई. कुछ समझता या संभलता, इस से पहले ही संतुलन बिगड़ गया और साथ चलते वाहनों से टकराता हुआ पीछे आती बस के सामने गिर पड़ा.
बसचालक का जवाब था, ‘मैं ने बहुत कोशिश की उस मोटरसाइकिल सवार को बचाने की पर इतना ही कर पाया अन्यथा साइड और आगे के वाहनों तथा अन्य चालकों को भारी नुकसान हो सकता था. मुझे दुख हुआ कि उस के पैर नहीं रहे.’