गुजरात के अहमदाबाद से रात्रिकालीन सेवाओं के तहत निजी बसें चलती हैं जो सूरत, मुंबई और गोआ तक जाती हैं. ये बसें डबलडैकर होती हैं और इन में लेटने की व्यवस्था भी होती है. लेकिन इन बसों में शौचालय का प्रावधान नहीं है. अहमदाबाद से ममता अपने पति और बच्ची के साथ सूरत जा रही थी. रात के 10 बजे थे. सारे यात्री बस में लेट गए और बस चल पड़ी. अहमदाबाद से सूरत पहुंचने में बस को 6 घंटे लगते हैं. बस चालक उस दिन बस को 4 घंटे में सूरत पहुंचाना चाहता था. चालक व परिचालक केबिन में थे. ममता का पति विरेन मस्त नींद में था. 2 घंटे के बाद ममता ने पति को उठाया.

‘‘सुनो.’’

‘‘क्या बात है?’’ जम्हाई लेते हुए विरेन बोला.

‘‘मुझे टौयलेट जाना है, ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहो,’’ ममता ने कहा.

बस में सारे यात्री सो रहे थे. गुजरात के शानदार लाइन 4 लाइन वाले ऐक्सप्रैस हाइवे पर बस पूरी रफ्तार से भागी जा रही थी. चालक, परिचालक अपने में मस्त थे, उन्हें सूरत पहुंच कर अपने खास रैस्टोरैंट के सामने गाड़ी रोक कर चिकन बिरयानी खानी थी और अपनी बस का माइलेज भी उसे लेना था. अच्छा माइलेज मिलने पर उसे अपनी परिवहन कंपनी की तरफ से विशेष उपहार भी मिलना था. चालक, परिचालक का केबिन चारों तरफ से बंद था, जिस में प्रवेश करने के लिए डबलडोर प्रणाली थी. चालक बस को सीधे सूरत में रोकना चाहता था. उधर ममता का टौयलेट जाने का प्रैशर बढ़ता जा रहा था.

‘‘गाड़ी रुकवाओ प्लीज,’’ ममता ने संकोच करते हुए पति से फिर कहा.

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