दिल्ली के 16 दिसंबर के दामिनी गैंगरेप कांड की खौफनाक यादें अभी जेहन से निकली भी न थीं कि राजधानी सहित देश के कई हिस्सों में मासूम बच्चियों के साथ हैवानियत और दरिंदगी की वारदातों ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. यह सिलसिला न जाने और कितनी मासूमों को अपना शिकार बनाएगा, इस का जवाब किसी के पास नहीं है. पढि़ए राजेश कुमार की रिपोर्ट.

 
आप ने गिद्ध को लाश का मांस नोचते देखा होगा, बोटियां खाते देखा होगा. कभीकभी अधमरे जीव के इर्दगिर्द ललचाई नीयत से मंडराते भी देखा होगा. पर क्या कभी किसी गिद्ध को हड्डियां नोचते देखा है? जवाब है नहीं. मांस नोचने वाले गिद्ध में भी शायद कोई भाव होगा जो उसे दरिंदगी की सीमा से परे जा कर हड्डियों को नोचना निहायत ही घिनौना महसूस कराता होगा. लेकिन इंसान आज ऐसा गिद्ध बन चुका है जो हैवानियत की सारी हदें पार कर बोटियों के साथ हड्डियां भी नहीं छोड़ता.

दिल्ली के गांधीनगर इलाके में 5 साल की मासूम गुडि़या को जिन हैवानों ने अपनी कामवासना की गिद्धभावना के तहत नोचाखसोटा होगा, उन्हें भी तो उस मासूम बदन से मांस की जगह सिर्फ हड्डियां ही मिली होंगी.

दरअसल, 17 अप्रैल को दिल्ली के गांधीनगर इलाके के एक बेसमैंट में 5 साल की मासूम बच्ची गंभीर रूप से जख्मी हालत में मिली. मैडिकल रिपोर्ट में मासूम के साथ दुष्कर्म और शारीरिक यातनाओं का खुलासा हुआ. हैवानियत भरे इस कुकृत्य को जिस ने सुना, आक्रोशित हो सड़कों पर उतर पड़ा.

10 जनपथ, एम्स, पुलिस हैडक्वार्टर हर जगह गुस्साई भीड़ उन दरिंदों को फांसी देने की मांग करने लगी. 20 अप्रैल को सुबह के 10 बजे जब हम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचे तो मैन गेट पर टीवी चैनलों के

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