बिहार में शराबबंदी के बाद इंसानों के साथ-साथ अब भूतों ने भी दारू पीना छोड़ दिया है. चौंकिए मत. हंसिए भी नहीं. यह न तो कोई मजाक है और न ही पोंगापंथ को बढ़ावा देने की कोई कवायद है. बिहार में शराबबंदी का असर भूतों पर भी हुआ है. सच में भूतों ने भी दारू से तौबा कर ली है. वह भी शराबबंदी के स्पोर्ट में खड़े हो गए हैं और बगैर दारू के चढ़ावे के ही पोंगापंथियों के जिस्मों से बाहर निकलने लगे हैं.

बिहार के हर गांव में भूत भगाने का खुला खेल सदियों से चलता रहा है. भूत भगाने के काम में जम कर दारू का इस्तेमाल होता है. भूत भगाने वाले ओझा-गुनी खुद भी दारू पीते हैं और भूत को भी दारू पिलाने का दावा करते हैं. भूत भगाने के बहाने ओझा पीडि़तों के परिवार वालों से दारू की कई बोतलें ठगता रहा है. ओझाओं को दावा है कि दारू पिए बगैर भूत भागता नहीं है. किसी भी इंसान के शरीर में अगर भूत-प्रेत घुस जाता है तो उसे भगाने के लिए दारू पिलाना जरूरी है.

हैरत की बात है कि जब से बिहार में शराबबंदी लागू हुई है, तब से भूतों ने बगैर दारू पिए ही इंसानों के शरीर से भागना शुरू कर दिया है. नीतीश कुमार को तो इस बात पर फख्र होना चाहिए कि शराबबंदी के बाद भी कई दारूबाज इंसान चोरी-छुपे शराब पीने की जुगत में लगे हुए हैं, पर भूत उनके आदेश को सौ फीसदी पालन कर रहे हैं. नीतीश के इस फैसले का सम्मान करते हुए भूतों ने दारू से तौबा कर ली है.

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