आज के दौर में जब सुरक्षा प्रश्नचिह्न बनती जा रही है और लोगों का अपनों पर से विश्वास उठता जा रहा है तो ऐसे में कुत्ते अपनी वफादारी के बलबूते खेत, घर और फार्महाउस के नए पहरेदार बन कर उभर रहे हैं.

किसी को गाली देनी हो तो उसे कुत्ता कह देना काफी है, हालांकि समाज में कुत्ते को वफादार माना व कहा जाता है. कुत्ते इंसानों की सुरक्षा ही नहीं, घरों, फार्म हाउसों, खेतखलिहानों, बागबगीचों की पहरेदारी भी बखूबी करते हैं. बुंदेलखंड के महोबा जिले का कालीपहाड़ी गांव पत्थरों और छोटीछोटी पहाडि़यों से घिरा है. खेत गांव से दूर स्थित हैं. लिहाजा, किसानों को अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए कई तरह के इंतजाम करने होते हैं. रामदीन ने वहां अपने खेतों के चारों ओर बाड़ लगा  कर सब्जी की खेती की है. वह अपनी 10 बीघा जमीन पर सब्जी के अलावा गेहूं, चना और मूंग की खेती करता है. उस ने अपने खेत के एक हिस्से में कटहल, नीबू और आम के पेड़ भी लगाए हैं.

उस की सब से बड़ी परेशानी इन फसलों की सुरक्षा की होती है. नीलगाय और छुट्टा जानवरों के अलावा चोरी करने वाले लोगों से फल और फसलों को बचाना मुश्किल होता है. रामदीन कहता है, ‘‘बुंदेलखंड में वैसे तो छुट्टा जानवरों को छोड़ने वाली अन्ना प्रथा लगभग बंद हो गई है लेकिन नीलगाय और दूसरे जानवरों से खेतों को बचाना आसान नहीं है. वहीं, फसलों की चोरी करने वाले भी परेशान करते हैं.’’

फसलों को बचाने के लिए रामदीन ने अपने खेत के बीच में एक जगह बनाई है जहां वह रात को सोता है. जंगली इलाके में रात को सोना किसी मुसीबत से कम नहीं होता. इस से बचने के लिए रामदीन ने 2 देसी नस्ल के कुत्ते पाल रखे हैं. किसी अनजान आदमी के आने पर वे जोरजोर से भूंकने लगते हैं. इस से रामदीन सचेत हो जाता है. वह कहता है, ‘‘कई जानवर तो इन कुत्तों की आवाज सुन कर ही भाग जाते हैं. जो जानवर या आदमी इस के बाद भी खेत में घुस कर फल और फसलों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं, कुत्ते उन का मुकाबला करते हैं. इन को जैसे ही यह पता चलता है कि हम जाग गए हैं और इन के पास हैं, ये दोगुनी ताकत से विरोधी पर हमला कर देते हैं.’’

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