21 वर्षीया सीमा होंठों पर प्यारी सी मुसकान लिए और हाथों में गुलाब का बड़ा सा गुलदस्ता लिए दिल्ली के आईटीओ बस स्टैंड पर किसी का इंतजार कर रही है. उसे देख यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वह किस का इंतजार कर रही है. भले यह वैलेंटाइन डे की शाम न हो फिर भी उस के हावभाव कह रहे हैं, वह अपने दिलदार का इंतजार कर रही है. सीमा के हाथ में खूबसूरत से लिफाफे में बंद एक बड़ा डब्बा भी है, जो शायद उस के बौयफ्रैंड के लिए बर्थडे गिफ्ट होगा.

पिछले कुछ सालों में सीमा जैसी युवतियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. हालांकि प्यार चाहे आदिम युग में किया गया हो या इंटरनैट युग में, वह कभी नहीं बदला. लेकिन पिछले कुछ सालों में जिस तरह हर क्षेत्र में आमूलचूल ढंग से परिवर्तन देखने को मिले हैं, प्यार भी इन बदलावों से अछूता नहीं है. आज इजहार का तरीका बदल गया है, इकरार के अंदाज बदल गए हैं. इंटरनैट युग में हर चीज तुरतफुरत वाली हो गई है. ऐसे में भला प्यार कैसे पीछे रह सकता था? अब न कोई लड़का प्रेम प्रस्ताव देने के लिए कई दिनों का इंतजार करता है और न ही कोई लड़की उस की हामी में वक्त लगाती है.

अगर कहा जाए कि आज की तारीख में प्यार पहले की तुलना में ज्यादा वास्तविक हो गया है तो कतई गलत नहीं होगा. जी, हां. लैलामजनू, हीररांझा जैसे प्यार अब बमुश्किल ही देखने को मिलते हैं. इस का मतलब यह कतई नहीं है कि प्यार पहले के मुकाबले अब लोगों में कम हो गया है या फिर अब वादों और इरादों की जगह खत्म हो गई है. दरअसल, प्यार अब गिव ऐंड टेक की पौलिसी बन चुका है. बेशक ये शब्द थोड़े रूखे हैं लेकिन वास्तविकता यही है. ऐसा नहीं है कि यह बदलाव एकाएक देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ सालों में धीरेधीरे चल कर यह बदलाव यहां तक पहुंचा है.

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