दुनिया के सबसे बड़े स्टील कारोबारी लक्ष्मी निवास मित्तल की कंपनी अर्सेलर मित्तल 8.79 बिलियन डालर की लागत से झारखंड में दुनिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट लगाना चाह रही है. इसके लिए 12 हजार एकड़ जमीन की दरकार है. दयामनि कहती हैं कि अगर यह प्लांट लगता है तो 40 गांवों के लोगों को अपनी जमीन गंवानी पड़ेगी. हमने कसम खायी है कि इसके लिए खेती के लायक एक इंच भी जमीन नहीं देंगे. क्या वह आदिवासियों को उनका हक और इंसाफ दिला पाएंगी के सवाल पर दयामनि कहती हैं कि जब तक जान है, मेरी लड़ाई जारी रहेगी, फिर वह एक शेर पढ़ती हैं- ‘इंसाफ उनसे मांगने क्या जाएं दोस्तों, जिन मुन्सिफों को देखा है कातिलों के आसपास..’

इसके बाद भी उन्होंने आदिवासियों के हक की लड़ाई नहीं छोड़ी है. दयामनि कहती हैं- ‘मैंने जमीन खोने का दर्द झेला है. मैं जब काफी छोटी थी तभी मेरे पिता की जमीन एक व्यापारी ने धोखे से हड़प ली थी. रोटी कमाने के लिए मेरे परिवार को गांव छोड़ना पड़ा. परिवार चलाने के लिए पिता को मजदूरी करनी पड़ी और मां को दाई का काम करना पड़ा था. मेरे भाइयों ने जिंदा रहने के लिए कुली का काम किया. मैंने भी छोटी उमर से ही जूठे बर्तन धोने का काम शुरू कर दिया था. जमीन खोने वाले परिवार की क्या हालत होती है, यह सब मैंने करीब से देखा और झेला है, इसलिए मैं नहीं चाहती कि अब कोई परिवार बर्बाद हो. किसी गरीब की जमीन न छिने और अगर काफी जरूरी हो तो जमीन वाले को उसका पूरा मुआवजा मिले. इसी के लिए सरकार के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हूं.’

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