दिल्ली के नवादा मैट्रो स्टेशन से महज 5 सौ मीटर की दूरी पर मटियाला, मछली मार्केट कबाड़ी झुग्गी बस्ती है. इस बस्ती में तकरीबन 125 झुग्गियां हैं, जिन में घर और गोदाम दोनों हैं. ये लोग बिहार के पटना, नालंदा, शेखपुरा जिले के पासवान, रविदास, मलिक (डोम), साव जाति से हैं, जो अपने परिवारों के साथ 10-12 सालों से यहां रह रहे हैं. इन लोगों की झुग्गी बस्ती जिस जमीन पर बसी है, वह डीडीए की है. लेकिन इस जमीन को ले कर जयकिशन वत्स और जसबीर सोलंकी का झगड़ा चलता रहा है. दोनों ही अलगअलग राजनीतिक पार्टी से जुड़े हैं. इन झुग्गी बस्ती वालों से जयकिशन वत्स किराया वसूलते हैं, तो दूसरी तरफ जसबीर सोलंकी बिल्डिंग मैटीरियल वालों से पैसा वसूलते हैं.

यहां के झुग्गी बस्ती वाले घरों, सड़कों, गलीमहल्ले से कूड़ा उठाने का काम करते हैं. उन को कूड़ा उठाने के मेहनताने के रूप में कुछ पैसा नहीं मिलता है. हां, गंदा या चोर की उपाधि जरूर मिल जाती है. दूसरों की गंदगी उठा कर खुद गंदगी में रहने वालों के साथ छुआछूत का भेद बहुत ज्यादा है. यहां तक कि उन के साथ उठनाबैठना तो दूर की बात है, उन के बच्चों को स्कूल में दाखिला तक नहीं दिया जाता है. इस कबाड़ी बस्ती में एक से 14 साल के 250 बच्चे हैं, लेकिन एक साल पहले तक एक भी बच्चा स्कूल में नहीं जाता था. एक अध्यापक की कोशिश से पिछले साल 75 बच्चों का दाखिला हो पाया था, लेकिन इस साल स्कूल ने बच्चों का दाखिला लेने से मना कर दिया. खासकर एक भी लड़की का दाखिला नहीं हो पाया.

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