11 साल की लड़की रिंकी रोतेबिलखते अपने मांबाप से कहती है, ‘‘हम को घर से मत निकालो... बाबूजी, रहम करो. अम्मां, तुम कुछ करो न... तुम कुछ क्यों नहीं बोलती हो...’’ पर उस के आंसुओं से किसी का भी दिल नहीं पिघलता.

रिंकी के तमाम रिश्तेदार और गांव वाले चुपचाप खड़े तमाशा देख रहे थे. परिवार के एक बुजुर्ग ने उलटा रिंकी को फटकारते हुए कहा, ‘‘ब्याह नहीं करेगी तो क्या जिंदगीभर बाप के घर बैठ कर रोटी तोड़ेगी? रोनेधाने से कुछ नहीं होगा. ब्याह कर और बाप का बोझ हलका कर. अपने पति का घर संभाल.’’ पटना से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर मसौढ़ी ब्लौक के कटका गांव के मंदिर के पास 20 नवंबर, 2016 की रात मासूम रिंकी की चीखपुकार सुन कर अच्छेअच्छों का दिल पसीज गया, पर परंपरा की जंजीरों में जकड़े उस के मांबाप और रिश्तेदार जबरन उस की शादी की रस्म अदा कराते रहे.

कुछ इसी तरह की कहानी बिहार के भोजपुर जिले के आरा की रहने वाली पूनम की भी है, जिस की शादी 12 साल की उम्र में कर दी गई थी. तब वह नहीं जानती थी कि शादी किस चिडि़या का नाम है? आज 22 साल की पूनम का यह हाल है कि उस के 4 बच्चे हो गए हैं और जिस्मानी रूप से वह इतनी कमजोर है कि ठीक से चलफिर भी नहीं पाती है. लड़कियों के खेलने और पढ़ने की उम्र में उन की शादी कर उन के मांबाप एक तो उन का बचपन छीन लेते हैं और जिस्मानी व मानसिक रूप से कच्ची होने के बाद भी बच्चे को जन्म देने की वजह से वे अपनी बेटी और उस के बच्चे की जान को खतरे में डाल देते हैं.

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