या तो लोगों को ठगी की आदत पड़ चुकी है या फिर लोगों के पास खर्चने के लिए ढेर सारा पैसा आ गया है. शायद इसीलिए रिंगिंग बेल्स कम्पनी के 251 रुपए के गड़बड़झाले और ऑनलाइन शौपिंग प्लेटफोर्म की बेवकूफ बनाती स्कीमों के बावजूद लोग ऑनलाइन शौपिंग का चस्का नहीं छोड़ पा रहे हैं.

उद्योग संघ एसोचैम की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में इस वर्ष यानी 2016 में ऑनलाइन शॉपिंग में 78 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है. एसोचैम और प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स की जॉइंट स्टडी की मानें तो बाजार में सुस्ती के बावजूद लोग जमकर ऑनलाइन खरीददारी करेंगे. जबकि 2015 में यह आंकड़ा 66 फीसदी था.

आकर्षक ऑफर और आक्रामक विपणन व विज्ञापन नीति के चलते ऑनलाइन खरीदारी का ट्रेंड भले ही उछाले मार रहा हो, लेकिन बाजार जाकर मोलभाव कर खरीदारी करने का वो पुराना तरीका ही ठीक था. जहाँ गलीमोहल्ले के गुप्ता जी या जैन साड़ी सेंटर्स से शौपिंग कर चाय की दो चुस्कियां लग जाती थी. खरीदारी के बहाने मेलजोल की सामाजिकता भी पूरी हो जाती थी और सामान की गुणवत्ता और कीमत को लेकर निश्चिंतता भी रहती थी.

अब वेबसाइटों पर फोटोशोप की कलाकारी से प्रोडक्ट की चिकनी चमकीली तस्वीर लगा दी जाती है. बाद में ऑर्डर कर जब सामान हाथ में आता है तो तस्वीर के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता. मन मारकर या तो सामना रख लो या फिर लौटाने की बोझिल प्रकिया में कई दिन बर्बाद करो.देश के 14 शहरों में 12,365 किशोरों पर किये गये एक हालिया सर्वेक्षण में सामने आया है कि अधिकतर किशोर अपनी पसंद की चीजें मंगाने के लिए अकसर ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं.

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