संजय को शराब पीने की लत उस समय लगी जब वह 10वीं में पढ़ रहा था और बोर्ड की परीक्षा में कम अंक आने की वजह से उस ने अपने जैसे कुछ दोस्तों के साथ टैंशन कम करने के लिए पहली बार बियर पी थी. इस के बाद वह धीरेधीरे इस का आदी होता चला गया. जिस के चलते वह इंटर की परीक्षा में दो बार फेल हुआ. जब इस बात की जानकारी संजय के पिता को हुई तो उन्होंने संजय की पढ़ाई बीच में ही छुड़वा कर उसे अपने कपड़े के व्यवसाय में सहयोग करने के लिए अपने साथ ही लगा लिया, लेकिन संजय अपनी शराब पीने की बुरी आदत के चलते पिता के व्यवसाय से होने वाली आमदनी से पैसे चुरा  कर शराब पीने लगा था, जिस को ले कर अकसर संजय व उस के पिता में तूतू, मैंमैं होती रहती थी.

एक दिन संजय को उलटियां होने लगीं जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं. संजय के घर वाले आननफानन में उसे ले कर अस्पताल  ले गए, जहां जरूरी चैकअप के बाद डाक्टर ने बताया कि अत्यधिक शराब के सेवन के चलते संजय को लिवर का कैंसर हो गया है जो अपनी अंतिम अवस्था में है. संजय के बचने के चांसेज बहुत कम हैं. डाक्टरों ने उसे बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन बचा नहीं पाए.

एकलौते बेटे की मौत ने संजय के पिता को तोड़ दिया. संजय की शराब पीने की लत के कारण उस का कैरियर तो दांव पर लगा ही साथ ही शराब ने उस की जान भी ले ली.

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