आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद के पान बाजार इलाके में स्थिति जैन भवन में ज्वैलर लक्ष्मी समदारिया ने 1 अक्तूबर को एक शानदार दावत का आयोजन किया था. जैन समुदाय के 700 से ज्यादा सदस्य दावत में शामिल हुए. दावत में परोसे गए ताजे फल, चाट, शाकाहारी व्यंजन और 20 से ज्यादा तरह की मिठाइयों की सभी ने बहुत प्रशंसा की. लक्ष्मीचंद ने इस अवसर के लिए स्थानीय हिंदी समाचारपत्र मिलाप में पूरे पेज का विज्ञापन भी दिया था जिस में उन्होंने गर्व से बताया था कि उन की 13 वर्षीया बेटी आराधना अपने उपवास (तिविहर उपवास) का 68वां दिन पूरा कर रही थी. इस दौरान सूर्योदय से ले कर सूर्यास्त तक आराधना ने केवल पानी पिया था. यह उस की बहुत बड़ी उपलब्धि थी जिस के लिए उस से मिलने जैन समुदाय के लोग बड़ी संख्या में आए. उन सब ने उस की शोभायात्रा में हिस्सा भी लिया जिस में उसे रथ पर बिठा कर घर से जैन भवन लाया गया था.

3 अक्तूबर को समदारिया परिवार ने अपने घर पर पारणा प्रथा का आयोजन किया, जिस में आराधना ने अपना उपवास मूंगदाल के पानी से खत्म किया. बाद में दिन में उस ने गुड़ का पानी और लौंग का पानी पिया. आराधना ने कुछ तरल पदार्थ ही लिए. लक्ष्मीचंद के अनुसार, वह बिलकुल ठीक थी. उस ने अपने पिता, अपनी मां मनीषा और अपनी छोटी बहन दर्शिनी के साथ टीवी देखा. 11:40 बजे के आसपास वह अचानक बेचैनी महसूस करने लगी और पसीने में तर होती गई. सब उसे ले कर आई एम एस हौस्पिटल भागे पर डाक्टर उसे बचा नहीं सके. डाक्टरों ने उसे हार्टफेल के कारण ‘ब्रौट डैड’ घोषित कर दिया.

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