सावन की शिवरात्रि के दौरान करोड़ों की तादाद में बमबम भोले का शंखनाद करने वाले कांवडि़यों का हुजूम देश की सड़कों पर ऊधम मचाता हुआ नजर आता था, पर इस बार ऐसा क्या हुआ कि न केवल कांवडि़यों की संख्या बहुत कम नजर आई बल्कि उन को मुफ्त का माल परोसने वाले धर्म के धंधेबाजों में पहले जैसे जोश का अभाव भी नजर आया?

गंगाजल लेने को हरिद्वार जाने वाले शिवभक्त कांवडि़यों की संख्या इस बार बहुत कम देखने में आई. इसी वजह से सड़कों पर उत्पात, गुंडागर्दी, महिलाओं से छेड़छाड़ जैसी हरकतों से आम लोगों और प्रशासन को थोड़ी राहत महसूस हुई. दिल्ली के वजीराबाद, जीटी रोड, मथुरा रोड, बदरपुर, धौला कुआं हो कर हरिद्वार जाने वाले रास्तों पर कांवडि़यों का भगवा सैलाब बहुत कम नजर आया. कहींकहीं तो कंधों पर कांवड़ लादे हुड़दंगी कांवडि़यों की भरमार रहने वाले रास्तों पर भी वीरानी रही.

पूर्वी दिल्ली से गुजर रहे व्यस्ततम नैशनल हाईवे नंबर 24 पर कांवडि़यों की थोड़ी आवाजाही रही. पुलिस ने कांवडि़यों की वजह से कमर्शियल वाहनों का आवागमन रोक दिया था लेकिन वजीराबाद रोड, जीटी रोड और विकास मार्ग पर कांवडि़यों के कारण कहींकहीं जाम हो रहा था. दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस बार कांवडि़यों की संख्या में कमी जरूर दिखाई दी पर हमें इंतजाम हर साल की तरह ही करने पड़े. हां, इतना जरूर है कि कांवडि़यों को ले कर तनाव और विवाद जैसे मामले ज्यादा नहीं आए.

हरिद्वार जिला सूचना अधिकारी कार्यालय के प्रदीप कोठारी कहते हैं कि यह सही है कि इस बार यहां कांवडि़यों की संख्या काफी कम रही. वजह पूछने पर वे कहते हैं कि केदारनाथ त्रासदी के कारण कांवडि़ए कम आए. गरमी इस की वजह नहीं है. कांवडि़यों की वजह से हरिद्वार जिला प्रशासन को काफी परेशानी होती होगी? इस सवाल पर कोठारी कहते हैं कि हां, शहर में गंदगी और अराजकता जैसा माहौल होता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं था.

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