हिंदू धर्म की धार्मिक कुरीतियों का विरोध करने के लिए महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी. समय के साथसाथ बौद्ध धर्म में भी हिंदूधर्म की कुरीतियां घर बनाने लगीं. बौद्ध धर्म के सब से पवित्र माने जाने वाले लुंबिनी के माया मंदिर में इस को आसानी से देखा जा सकता है. लुंबिनी को महात्मा बुद्ध की जन्मस्थली माना जाता है. 1896 में पहली बार लुंबिनी की खोज हुई थी. उस के बाद यूनेस्को ने इस को विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित रखने के आदेश दिए थे. 

अब लुंबिनी विश्व धरोहर के रूप में जानीपहचानी जाती है. लुंबिनी नेपाल के दक्षिण में बसा है. यह भारत की सीमा से लगा जिला है. उत्तर प्रदेश के ककरहा गांव से 24 किलोमीटर दूर है. पहले इसे रूमिनोदेई गांव कहा जाता था. आज के समय में पूरी दुनिया में 50 करोड़ से अधिक बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं. इन सभी के लिए लुंबिनी तीर्थस्थल के समान है. आज भी बड़ी तादाद में विदेशी पर्यटक यहां आते हैं. वे घंटों पार्क में बैठ कर ध्यान लगाते हैं और मंदिर की परिक्रमा करते हैं.

बुद्ध का जन्म शाक्य क्षत्रियकुल में हुआ था. शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु थी, जहां से कुछ दूरी पर ही लुंबिनी पड़ता है. कपिलवस्तु में भी पुरातत्त्व विभाग की खुदाईमें गौतम बुद्ध के समय के अवशेष मिले हैं. बताते हैं कि गौतमबुद्ध की माता मायादेवी सफर कर रही थीं. इसी दौरान उन को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. तब यहां के शालवृक्ष के नीचे मायादेवी ने जिस बच्चे को जन्म दिया, वही आगे चल कर बुद्ध बना. आज वहां मायामंदिर बन चुका है. 

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