सवाल
मेरी उम्र 20 साल है. मैं हमेशा ऐसिडिटी और गैस की समस्या से परेशान रहती हूं. मैं ने कई दिनों तक डाक्टर से इलाज भी करवाया. घर के बड़ेबुजुर्गों के कहने पर घरेलू नुसखे भी आजमा कर देखे, पर कोई फर्क नहीं पड़ा. कुछ उपचार बताएं.
जवाब
ऐसिडिटी और गैस का लाइफस्टाइल से गहरा संबंध है. हम क्या खाते हैं, कैसे खाते हैं, कितने तनाव में रहते हैं, कैसे वस्त्र पहनते हैं, कैसी दिनचर्या रखते हैं, सभी का इस पर असर पड़ता है. यदि हम अपने खानेपीने में कुछ छोटेछोटे परहेज बरतने लगें, टेबल मैनर्स पर ध्यान दें. दिनचर्या में छोटेछोटे परिवर्तन ले आएं.
तली हुई चीजें और अधिक चरबी वाले गरिष्ठ व्यंजन ऐसिडिटी पैदा करते हैं. टमाटर, प्याज, लालमिर्च, कालीमिर्च, संतरा मौसमी, चौकलेट आदि से परहेज किया जा सकता है. इसी प्रकार कुछ शाकसब्जियां और फल पेट में अधिक गैस बनाते हैं. फलियां, फूलगोभी, मूली, प्याज, पत्तागोभी जैसी सब्जियां और सेब, केला और खूबानी पेट में गैस बनाते हैं. इसी तरह जिन चीजों में प्रोटीन बड़ी मात्रा में होता है, वे भी बादी होती हैं. ऐसे व्यंजन जो गरमगरम सर्व होते हैं जैसे सिजलर्स वे भी पेट में गैस बढ़ाते हैं. इन से परहेज करें.
खाने की मेज पर चंद टेबल मैनर्स भी ध्यान में रखने जरूरी हैं. भोजन करते समय छोटेछोटे निवाले लें. पचपच कर के खाने से भी बहुत सारी हवा पेट में पहुंच जाती है. पानी और दूसरे पेयपदार्थ पीते समय कप, गिलास, चम्मच होठों से सटा कर रखें और जल्दबाजी न करें.
दिनचर्या का भी सेहत पर असर पड़ता है. पूरा दिन एक जगह बैठेबैठे बिता देने के बजाय थोड़ीथोड़ी देर पर चलतेफिरते रहना आंतों के लिए अच्छा है. जीवन में स्ट्रैस को नियंत्रण में करना भी जरूरी है. व्यायाम, हास्य आदि स्ट्रैस से मुक्ति दिलाते हैं.