हजारों लोग आगरा पहुंच चुके हैं और हजारों और रास्ते में हैं. ये लोग आज ताजमहल पर शरद पूर्णिमा की बरसती चांदनी का लुत्फ उठाएंगे. इस संगमरमरी ऐतिहासिक इमारत पर आज की चांदनी की छटा वाकई अदभुद होती है, इतनी और ऐसी कि प्रकृति प्रेमी सुधबुध खो बैठते हैं. इनमें से कईयों को नहीं मालूम होगा कि अब ताजमहल उत्तरप्रदेश का पर्यटन स्थल नहीं रहा है, वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कभी दरभंगा बिहार की एक रैली में कहा था कि ताजमहल भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है.

योगी ने जो कहा था वह कर भी दिखाया. इस साल उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा जारी 32 पृष्ठीय बुकलेट में से आगरा का ताजमहल गायब है. वही ताजमहल जिसे दुनिया का सातवां अजूबा कहा जाता है, जिसे देखने हर साल लाखों देसी विदेशी पर्यटक भारत और आगरा आते हैं और मुगल सम्राट शाहजहां की अपनी प्रेयसी मुमताज के प्रति दीवानगी के कायल हो जाते हैं.

यह महज खबर नहीं है बल्कि खबरदार कर देने वाली एक धमक भी है कि इतिहास दोबारा लिखा जा रहा है. अब उत्तर प्रदेश में दर्शनीय कुछ है तो वह गोरखपुर स्थित गोरखधाम मंदिर है, जिसके महंत सीएम हैं. मथुरा, बनारस और चित्रकूट भी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, क्योंकि इन धार्मिक स्थलों में हिन्दू देवी देवता विराजते हैं. यही नई भारतीय संस्कृति है, जिसकी इबारत बीते तीन सालों से आरएसएस के इशारे पर लिखी जा रही है.

शरद पूर्णिमा के ठीक 2 दिन पहले जब यह बुकलेट जारी हुई तो सरकार परस्त मीडिया ने भी अदभुद संयम दिखाया. किसी ने एतराज जताना तो दूर की बात है पूछा तक नहीं कि क्यों ताजमहल अब पर्यटन स्थल नहीं रहा, यह वही मीडिया है जो बात का बतंगड़ बनाने में माहिर है, लेकिन इतिहास को तोड़े मरोड़े जाने पर खामोश है.

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