समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की हालत घर के उस बुजुर्ग जैसी हो गई है जो घर के सदस्यों के बीच बंट कर रह जाता है. कभी इधर जाता है तो कभी उधर जाता है. मुलायम सिंह यादव अपने भाई शिवपाल यादव की नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नये औफिस गये. बडे भाई मुलायम को अपने औफिस में देखकर कर शिवपाल यादव ने उनको अपनी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दे मुलायम के सामने रखा. मुलायम ने उस पर कोई टिप्पणी नहीं की. 9 माल ऐवन्यू में खुले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के औफिस में मुलायम ने कार्यकताओं को समाजवादी पार्टी को वोट देने के लिये कहा. ऐसे में उनको नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का नाम याद भी दिलाया गया. इसके बाद भी मुलायम ने उस पार्टी का नाम नहीं लिया.

शिवपाल यादव की अगुवाई वाली प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के औफिस से वापस आकर वह अखिलेश यादव के साथ समाजवादी पार्टी के औफिस भी गये और वहां कार्यकर्ताओं से बात की. असल में रिश्तों के भाव में उलझे मुलायम ने भले ही अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अखिलेश को दे दी हो पर भाई शिवपाल से अपने निजी रिश्तों की गर्मजोशी याद है. ऐसे में वह याद के वशीभूत होकर शिवपाल से मिलने चले जाते हैं. राजनीतिक रूप से मुलायम समाजवादी पार्टी के साथ हैं जिसके मुखिया अखिलेश यादव हैं. मुलायम के इस कदम से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में उलझन का भाव पैदा हो जाता है.

समाजवादी पार्टी में तीन वर्ग हैं. पहला वर्ग मुलायम सिंह यादव की विचारधरा और पीढी वाला है. जो जनेश्वर मिश्र और लोहिया के दिखाये कदम पर चलता है. दूसरा वर्ग शिवपाल यादव के साथ है जो उनके साथ समाजवादी पार्टी में था. अखिलेश यादव से नाराज यह वर्ग अब शिवपाल यादव की नई पार्टी के साथ है. तीसरा वर्ग युवा है और अखिलेश यादव के पास है. मुलायम सिंह यादव के नाम पर अभी भी आमवर्ग जुड़ा है. जो उनकी बनाई समाजवादी पार्टी के साथ ही रहेगा. शिवपाल यादव चाहते हैं कि एक बार मुलायम सिंह यादव उनकी पार्टी से जुड़ जायें तो पिछड़ी जातियों के बीच उनका प्रभाव बढ जायेगा.

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