सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में बारूदी ट्रक से जैसा आत्मघाती हमला हुआ और जितनी बड़ी संख्या में लोग वहां मारे गए, वह सोमालिया के इतिहास का सबसे घातक आतंकी हमला है. यह उस दौर की याद दिलाता है, जब 1990 के आसपास सोमालिया में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई थी, सब अराजकता और खात्मे की ओर था. यह वह दौर था, जब चारों ओर भुखमरी थी, कबीलों के आपसी संघर्ष थे और था इससे उपजा गृह युद्ध.

माना जा रहा है कि ताजा हमला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस चेतावनी का जवाब है, जिसमें वर्षों से आतंक झेल रहे इस पूर्वी अफ्रीकी इलाके में सक्रिय अल-शबाब से मुक्ति दिलाने की बात कही गई है, लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि यह हमला विद्रोहियों और कट्टरपंथियों के नए गठजोड़ से उपजा एक और खतरनाक संकेत नहीं साबित होगा. हमले की जिम्मेदारी किसी ने सीधे तौर पर भले न ली हो, लेकिन हालात चरमपंथी गुट अल-शबाब की ओर ही इशारा कर रहे हैं. अल-कायदा से जुड़ा यह गुट पहले भी कई बार राजधानी के महत्वपूर्ण इलाकों को निशाना बना चुका है. इस बार भी हमले के लिए विदेश मंत्रालय सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रलयों वाला व्यस्ततम इलाका चुना गया था. इत्तफाक से जांच के लिए ट्रक थोड़ा पहले ही रोका गया, जिसके बाद जान-बूझकर इसे बैरियर से टकराकर धमाका करा दिया गया.

सोमालिया के संघर्ष की लंबी दास्तान है. लंबे समय बाद यहां 2015 में शांति की खबर विश्व के लिए बड़ी घटना के रूप में सामने आई थी. दरअसल आंतरिक युद्ध के माहौल में जब सब कुछ खत्म होने जैसा हो, ऐसे देश में शांति की वापसी बड़ी घटना ही थी. यह वही साल था, जब 20 साल बाद अमेरिका ने सोमालिया में फिर से अपना दूतावास खोला. यही वह साल था, जब मोगादिशु की सड़कें एक बार फिर रोशन रहने लगी थीं.

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