चीन की ‘मनमानी’ पर भारत को अमेरिका और जापान का साथ मिला है. तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र से इतर त्रिपक्षीय वार्ता में अप्रत्यक्ष तौर पर बीजिंग पर निशाना साधा. सोमवार को न्यूयॉर्क पहुंचने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अमेरिका और जापान के विदेश मंत्रियों के साथ वार्ता की. उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहीं सुषमा एक हफ्ते तक यहीं रुकेंगी.

तीनों देशों ने चीन के विस्तारवादी रवैये व क्षेत्रीय विवादों में उलझे रहने और उत्तर कोरिया के प्रति नरम रवैया रखने की अप्रत्यक्ष तौर पर आलोचना की. सुषमा स्वराज, अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और जापानी विदेश मंत्री तारो कोनो के बीच समुद्री सुरक्षा (दक्षिण चीन सागर), संपर्क (वन बेल्ट वन रोड) और परमाणु अप्रसार (उत्तर कोरिया) के मुद्दों पर चर्चा हुई.

बातचीत के दौरान तीनों देश के मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि समुद्र में आवाजाही की आजादी सुनिश्चित की जानी चाहिए, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान किया जाना चाहिए और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान तलाशे जाने चाहिए.

क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान जरूरी

संपर्क के मुद्दे पर यह कहा गया कि यह अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्यता प्राप्त नियमों के तहत होना चाहिए. साथ ही संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. चीन दुनिया के बड़े हिस्से में संपर्क बढ़ाने के लिए अपने वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट पर जोर दे रहा है. मगर इसका एक हिस्सा पाक के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान से गुजरेगा, जिसे भारत अपना मानता है.

पाक के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं : अकबरूद्दीन

अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने हवाई अड्डे पर सुषमा का स्वागत किया. अकबरुद्दीन ने यह भी बताया कि सुषमा और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी. सुषमा की अमेरिकी यात्र के दौरान उनके कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, पलायन और शांतिरक्षण जैसे मुद्दे इस साल भारत के लिए अन्य महत्वपूर्ण केंद्रित क्षेत्र हैं. उन्होंने बताया कि सुषमा यहां जलवायु परिवर्तन संबंधी कदमों को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा चयनित देशों के विशेष पैनल में हिस्सा लेंगी.

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