धर्म के हाथ बहुत लंबे हैं.  इन से आप बच नहीं सकते, भारत में तो बिलकुल नहीं.  इस देश में रहना है तो अपना धर्म बताना होगा.  यह कोई और नहीं कह रहा बल्कि देश की सरकार ने ऐसा आलाप किया है.

धर्म को केंद्र में रख कर राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार ने यह लागू कर दिया है कि जो भारत की नागरिकता लेना चाहते हैं उन्हें अब अपना धर्म भी लिख कर बताना होगा.

भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इस कदम से सवाल उठते हैं कि अगर कोई किसी धर्म में आस्था नहीं रखता तो क्या वह भारत की भूमि में नहीं रह सकता?  क्या यहाँ सिर्फ वही रहेंगे जो धार्मिक हैं?  और अगर यहाँ नास्तिक  रह रहे हैं तो क्या उन्हें देश से निकाला जाएगा?  बहराल, सरकार के निर्देश का पालन करना हम भारतवासियों के लिए अनिवार्य है, जो किया भी जाएगा.

केंद्र सरकार ने कहा है कि जो भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा, उसे अपना धर्म बताना होगा.  गृह मंत्रालय की ओर से नोटिफाई किए गए नागरिकता (संशोधन) नियमों 2018  के ज़रिए यह बदलाव किया गया है.  भारतीय नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन के ज़रिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की ओर से भरे जाने वाले हर फॉर्म में ‘धर्म’ शब्द को जोड़ा गया है.  यह पहली बार है कि जब भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए व्यक्ति को अपना धर्म बताना होगा.

नए नियमों में कहा गया है कि भारतीय मूल के किसी व्यक्ति, भारतीय नागरिक से विवाह करने वाले किसी व्यक्ति, भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चों को नागरिकता का आवेदन देते वक़्त धर्म की जानकारी देनी होगी.  अगर किसी के अभिभावक भारतीय नागरिक हैं और किसी के अभिभावकों में से एक स्वतंत्र भारत के नागरिक थे, उन्हें भी नागरिकता का आवेदन करते समय अपने धर्म की जानकारी देनी होगी.  हालांकि, धर्म पर संशोधन भारतीय नागरिकता का आवेदन करने वाले 3देशों – पाकिस्तान, बंगलादेश और अफ़ग़ानिस्तान के अल्पसंख्यकों पर लागू था.  गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस से पहले वर्ष 2014 और वर्ष 2016 में नोटिफिकेशन जारी किए गए थे, लेकिन इस बार धर्म को नागरिकता नियमों से जोड़ा गया है.

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